राजनीति में शायद ही ऐसी कोई पार्टी हो जिस पर भ्रष्टाचार के दाग न लगे हों. साल 2014 से अब तक, ऐसे कई सियासी दिग्गज हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे, राजनीतिक भविष्य अधर में था लेकिन अब उन्हें बड़ी राहत मिल चुकी है.
साल 2014 के बाद से अब तक कथित भ्रष्टाचार में शामिल कई नेताओं को क्लीन चिट मिल चुकी है. बीते 10 साल में करीब 25 बड़ी सियासी हस्तियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से दोस्ती कर ली है. इनमें से 23 नेताओं को राहत तक मिल गई है.
किन पार्टियों के नेताओं को मिली है राहत
महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक के नेता, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे, वे या तो बीजपी में शामिल हो गए, या उन्होंने बीजेपी को समर्थन दे दिया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कांग्रेस के 10 नेताओं ने, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना के 4-4 नेताओं ने बीजेपी का हाथ थाम लिया है.
तेलगू देशम पार्टी (TDP) से 2, समाजवादी पार्टी और YSRCP से एक-एक बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. विपक्ष इसी वजह से बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहता रहा है. बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहने वाली नेताओं में ममता बनर्जी का नाम प्रमुखता से शामिल है.
3 मामले बंद, ठंडे बस्ते में 20 केस
रिपोर्ट्स के मुताबिक भ्रष्टाचार के गंभीर 3 मामले बंद हो चुके हैं, 20 मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जांच एजेंसियां अभी इन नेताओं के बारे में कोई छानबीन नहीं कर रही हैं. आम चुनावों के ऐलान से महज कुछ हफ्ते पहले कई नेताओं ने बीजेपी का रुख कर लिया.
महाराष्ट्र पर ज्यादा मेहरबान हैं जांच एजेंसियां
विपक्ष का कहना है कि अजित पवार जैसे नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे. बीजेपी से दोस्ती के तत्काल बाद ही उन पर लगे चार्ज हट गए थे. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2022 में विपक्षी पार्टियों के करीब 95 प्रतिशत प्रमुख नेताओं पर CBI और ED का डंडा चला है.
क्यों BJP को वॉशिंग मशीन कहता है विपक्ष?
विपक्ष कहता है कि जैसे ही नेता बीजेपी में शामिल होते हैं, उन्हें क्लीन चिट मिल जाती है. हालांकि इसका इतिहास पुराना है. साल 2009 में जब यूपीए की सरकार थी, तब भी ऐसा हुआ है. तब CBI ने बसपा की मायावती और सपा के मुलायम सिंह यादव को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में राहत मिली थी.
महाराष्ट्र में साल 2022 में जब एकनाथ शिंदे गुट बीजेपी के साथ आया तो उन्हें भी राहत मिली. एक साल बाद अजित पवार गुट एनसीपी से अलग हुआ और एनडीए में शामिल हो गया. इसके बाद एनसीपी के दो बड़े नेता अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों को बंद कर दिया गया.