केरल विधानसभा में मंगलवार को समाज के कमजोर वर्गों के लिए निर्धारित SC/ST बजट में कटौती को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. विपक्षी दलों ने इस फैसले का विरोध करते हुए विधानसभा अध्यक्ष पर कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया. यह घटना विधानसभा में एक तीव्र राजनीतिक विवाद का कारण बनी और कार्यवाही को बाधित कर दिया.
केरल सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में SC/ST समुदाय के लिए अलॉटेड अमाउंट में कटौती को लेकर विपक्षी दलों ने तीव्र आपत्ति जताई. उनका कहना था कि राज्य सरकार ने समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए बजट में कमी करके उनके अधिकारों की अनदेखी की है. विपक्षी दलों का कहना है कि यह निर्णय राज्य में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम पीछे है.
विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार जानबूझकर SC/ST समुदाय के विकास और कल्याण के लिए निर्धारित फंड को कम कर रही है, जो इन समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने विधानसभा में हंगामा करते हुए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की. विपक्षी नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष पर भी आरोप लगाए कि वे विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यवाही में बाधा डाल रहे थे और विपक्षी नेताओं को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दे रहे थे.
विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा के नियमों का पालन करते हुए कार्यवाही की थी. उन्होंने बताया कि विपक्षी दलों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया था, लेकिन कुछ नेताओं ने अपनी बातों को असंयत तरीके से रखा, जिससे कार्यवाही प्रभावित हुई. अध्यक्ष ने कहा, "हमारे उद्देश्य समाज के हर वर्ग का समान रूप से ध्यान रखना है, और इस संबंध में उचित कदम उठाए जाएंगे."
यह घटना राज्य के बजट और समाज के वंचित वर्गों के लिए निर्धारित फंड के विषय पर गहरे सवाल उठाती है. SC/ST समुदाय के अधिकारों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती बहस इस बात का संकेत है कि राज्य में समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. इस तरह के हंगामे से यह भी साफ होता है कि राज्य की सरकार को अपने फैसलों में समाज के कमजोर वर्गों के हितों का ध्यान रखना होगा.
केरल विधानसभा में SC/ST बजट में कटौती को लेकर विपक्ष का हंगामा और अध्यक्ष पर आरोप यह दर्शाता है कि राज्य में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच बड़ा मतभेद है. इस विवाद से यह स्पष्ट होता है कि राज्य को इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है, ताकि समाज के वंचित वर्गों के हितों को सुरक्षित रखा जा सके.