नई दिल्ली: वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है. जिसके बाद इसे हिंदू पक्ष की बड़ी जीत के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है. इसी बीच इस मामले को लेकर बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा "ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के तहखाने में केवल दो तहखाने खोले गए हैं, जबकि 8 तहखाने अभी भी बंद हैं. हिंदू जनमानस पहले भी यहां पूजा करता रहा है. अदालत ने जो आदेशदिया है, वह कोई नई बात नहीं है."
#WATCH | Gyanvapi case | Union Minister Giriraj Singh says, "Only two cellars have been opened in Gyanvapi till now. Eight of them are still left..." pic.twitter.com/mlT9TQhXxV
— ANI (@ANI) January 31, 2024
कोर्ट ने जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में जरूरी इंतजाम करने को कहा है. हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आज व्यास का तेखाना में पूजा करने का अधिकार दिया गया है और अदालत ने जिला अधिकारी को इसके अनुपालन के लिए आदेश दिया है कि एक सप्ताह के भीतर जरूरी इंतजाम करें. पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी, सभी को पूजा करने का अधिकार होगा. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले याचिकाकर्ताओं और अधिवक्ताओं ने अदालत के आदेश के बाद विजय चिन्ह दिखाया.
कोर्ट के आदेश के मुताबिक जो व्यास जी का तहखाना है, अब उसके कस्टोडियन वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट होंगे. विश्वनाथ मंदिर के जो पुजारी हैं वह उस तहखाने की साफ-सफाई करवाएंगे. वहां जो बैरिकेडिंग लगी हुई है, उस बैरिकेडिंग को हटाएंगे और फिर तहखाने के अंदर नियमित रूप विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराई जाए.
मस्जिद के तहखाने में चार तहखाने हैं जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है जो यहां रहते है. साल 1993 में अधिकारियों ने तहखाने तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी गई थी. इसके बाद शैलेन्द्र कुमार पाठक व्यास ने तहखाना में पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति के लेकर याचिका दायर की थी कि वंशानुगत पुजारी के रूप में उन्हें तहखाना में प्रवेश करने और पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए. 17 जनवरी को व्यास का तखाना को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया था. सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा करता रहा है. 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर बेसमेंट में नमाज बंद कर दी गई थी.
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर व्यास का तहखाने में पूजा करने की अनुमति देने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वे वाराणसी कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. हम फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएंगे. आदेश में 2022 की एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट एएसआई की रिपोर्ट और 1937 के फैसले को नजरअंदाज किया गया है, जो हमारे पक्ष में था. हिंदू पक्ष ने कोई सबूत नहीं रखा है कि 1993 से पहले प्रार्थनाएं होती थीं. उस स्थान पर ऐसी कोई मूर्ति नहीं है. हम फैसले से बहुत नाखुश हैं और हम कानूनी तौर पर इसे लड़ेंगे.