एक तरफ जहां बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और तेजी से जंगलों के काटे जाने के कारण पूरी दूनिया वायु प्रदूषण और इससे होने वाली घातक बीमारियों की चपेट में आती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ पूरी दुनिया के 134 देशों में से केवल 7 देश ऐसे हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतरराष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को पूरा कर रहे हैं. एक नई रिपोर्ट से यह पता चला है.
यानी अगर आप वायु प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियां जैसे दमा, कैंसर, तनाव, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आप इन सात देशों में जाकर रह सकते हैं. ये सभी देश औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाले PM2.5 जैसे धूल और कार्बन के सूक्ष्ण कणों को लेकर WHO के मानकों को पूरा कर रहे हैं.
कौन से हैं ये देश
WHO के अंतरराष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक पर खरा उतरने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशर और न्यूजीलैंड शामिल हैं.
PM2.5 के मानक पर खरा उतरने में विफल रहे दुनिया के ज्यादातर देश
दुनिया के ज्यादातर देश PM2.5 के मानक पर खरा उतरने में विफल रहे हैं. PM2.5 धूल के वो कण होते हैं जो इंसान को धीमे जहर की तरह हर रोज मार रहे हैं और इनका सबसे ज्यादा प्रकोप मध्य और निम्न आय वर्ग के वो लोग झेल रहे हैं जिनका इन धूल के कणों के कोई वास्ता ही नहीं है.
पाकिस्तान दुनिया का सबसे प्रदूषित देश
हाल ही में जारी स्विस एयर क्वालिटी ऑर्गनाइजेशन की IQAir रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है. इस मुस्लिम देश में PM2.5 का स्तर WHO के मानक से 14 गुना ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के बाद भारत, ताजिकिस्तान, बुर्किना फासो दुनिया के सबसे प्रदूषित देश हैं.
बहुत धीमी वायु प्रदूषण को रोकने की रोकने की रफ्तार
सबसे चिंता की बात ये है कि तेजी से विकसित हो रहे देशों में भी वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की रफ्तार काफी धीमी है. कनाडा जिसे पश्चिमी देशों में सबसे स्वच्छ हवा वाला देश माना जाता है, पिछले साल वह वहां के जंगलों में लगने वाली रिकॉर्ड आग के कारण पीएम2.5 के मामले में सबसे खराब स्थिति में पहुंच गया. इसके जंगलों में लगी आग से जगहली हवा न केवल पूरे देश में फैली बल्कि यह जगरली हवा अमेरिका तक भी पहुंची.
चीन में कोरोना महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है जिसकी वजह से वहां पीएम2.5 के स्तर में 6.5 गुना वृद्धि हुई है. वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है जो एड्स और मलेरिया दोनों को मिलाकर होने वाली मौत से कहीं ज्यादा है. मौत का यह आंकड़ा विकासशील देशों में ज्यादा है क्योंकि वहां लोग लाइट और खाना बनाने के लिए खराब ईंधन पर निर्भर हैं.
PM2.5 का कोई भी स्तर इंसानी स्वास्थ्य के लिए घातक
अमेरिकी वैज्ञानिक द्वारा पिछले महीने जारी की गई रिसर्च में कहा गया था कि PM2.5 का कोई भी स्तर (सूक्ष्म से सूक्ष्म स्तर) इंसानी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. अगर आप कम समय के लिए भी पीएम2.5 कणों के समर्क में आते हो तो आपको अस्थमा और हृदय रोग हो सकते हैं.
IQAir के उत्तरी अमेरिका के मुख्य कार्यकारी ग्लोरी डॉल्फिन हैम्स ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों को कार में चलने के बजाया ज्यादा से ज्यादा पैदल यात्रा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए.