Kolkata Doctor Protest: कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच ईमेल को लेकर हुए नाटकीय टकराव के बीच सरकार ने गुरुवार को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों द्वारा रखी गई शर्तों को अस्वीकार कर दिया. इस बीच बंगाल सरकार ने नया पत्र जारी किया है. इस पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में मौजूद रहेंगी और केवल 15 लोगों को ही अनुमति दी जाएगी.
इसके अलावा बंगाल सरकार ने बैठक का सीधा प्रसारण करने की डॉक्टरों की मांग को खारिज कर दिया. साथ ही आश्वासन दिया कि पारदर्शिता के लिए इसे रिकॉर्ड किया जाएगा. मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिनिधियों से मिलने के लिए तैयार है. हालांकि यह किसी भी तरह से काम को फिर से शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों के विपरीत नहीं हो सकता है, क्योंकि ऐसे निर्देश राज्य को बाध्य करते हैं.
पत्र में आगे लिखा गया है कि राज्य सरकार हमेशा संबंधित हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. आप जानते हैं कि आपके प्रतिनिधिमंडल के साथ सार्थक बातचीत के लिए माननीय मुख्यमंत्री ने पिछले दो दिनों से लगातार आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार किया है.
बंगाल सरकार के प्रदर्शनकारी डॉक्टरों द्वारा बातचीत का लाइव प्रसारण से इंकार करने के बाद बीजेपी की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है. बीजेपी ने बंगाल सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी के आईटी सेल चीफ अमित मालवीय ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि खैर पश्चिम बंगाल सरकार आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की रेप और मर्डर पीड़िता के वजाइनल स्वैब को सुरक्षित नहीं रख सकी. वे शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे जाने से पहले अनिवार्य दस्तावेज चालान भी पेश नहीं कर सके, और वे उम्मीद करते हैं कि जूनियर डॉक्टर उन पर भरोसा करेंगे?
A petrified Mamata Banerjee refuses live telecast of meeting with the protesting Junior Doctors, which is a critical demand, for the sake of transparency. The Chief Secretary says the meeting will be documented.
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 12, 2024
Well, the WB Govt couldn’t preserve vaginal swab of the rape and… pic.twitter.com/oP9kdaGYn9
जूनियर डॉक्टरों ने अपना आंदोलन जारी रखते हुए अपने ईमेल में कहा कि वे चाहते हैं कि राज्य सरकार उनके साथ खुले मंच पर चर्चा करे, जिसका सीधा प्रसारण किया जाएगा. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने न्याय के रास्ते में आने वाले लोगों को हटाने की मांग की है. आंदोलनकारी डॉक्टरों ने एक बयान में कहा कि हम सड़क पर बैठे हैं और हम निराश हैं. आप एसी कमरे में बैठे हैं और निराश हो रहे हैं. हम केवल यह चाहते हैं कि जो लोग न्याय के रास्ते में खड़े हैं उन्हें हटाया जाए.
डॉक्टरों और अधिकारियों के बीच पहले दो ईमेल मंगलवार (10 सितंबर) को आदान-प्रदान किए गए थे. राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए आमंत्रित किया. डॉक्टरों ने काम पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह अपमानजनक है क्योंकि वे भेजने वाले के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इसके बाद डॉक्टरों ने बैठक के लिए कुछ नियम और शर्तें तय कीं और बुधवार को सुबह करीब 3.50 बजे मुख्यमंत्री को पत्र लिखा. इसके बाद दोपहर 3.20 बजे मुख्य सचिव ने 12 से 15 डॉक्टरों को नबान्ना में बातचीत के लिए आमंत्रित किया. एक बार फिर डॉक्टरों ने इस ईमेल का जवाब देते हुए बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से मिलने तथा अपनी ओर से एक बड़े प्रतिनिधिमंडल से मिलने पर जोर दिया जिसके बाद राज्य सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी.