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लोकसभा में 'एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक पेश': जानें कौन सी पार्टी पक्ष में कौन सी पार्टी विरोध में

लोकसभा में आज दोपहर को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश कर दिया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस विधेयक का समर्थन कौन सी पार्टियां कर रही हैं, वहीं विरोध कौन कर रहा है?

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
One Nation One Election Bill
Courtesy: x

One Nation One Election Bill: मंगलवार को लोकसभा में पेश हुआ 'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक भाजपा और विपक्षी दलों के बीच विवाद का विषय बन गया है. जहां एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल इसका समर्थन कर रहे हैं. वहीं 'इंडिया' गठबंधन के लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) सहित कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है.

एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव का 32 दल समर्थन कर रहे हैं, जबकि 15 अन्य इसका विरोध कर रहे हैं. जगन मोहन रेड्डी की YSRCP जैसी तटस्थ पार्टियों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है, जिससे लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हो सकेंगे.

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी इन विधेयकों के पेश किए जाने का "पूरी तरह और व्यापक रूप से" विरोध करेगी. रमेश ने कहा कि भाजपा का असली उद्देश्य "नया संविधान" लाना है. रमेश ने कहा, "हमारा मानना ​​है कि यह असंवैधानिक है. हमारा मानना ​​है कि यह मूल ढांचे के खिलाफ है और इसका उद्देश्य इस देश में लोकतंत्र और जवाबदेही का गला घोंटना है."

शिवसेना (UBT) का विरोध

कांग्रेस की बात से सहमति जताते हुए शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है. उन्होंने कहा, "यह संविधान पर हमला है. यह चुनाव प्रक्रिया से छेड़छाड़ है. भाजपा सत्ता का केंद्रीकरण करना चाहती है. हमें नहीं पता कि यह कितना लागत प्रभावी होगा. हम इस विधेयक का विरोध करेंगे."

समाजवादी पार्टी

कांग्रेस के साथ कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद समाजवादी पार्टी भी एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ है. सपा सांसद ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया है. अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "एक तरह से यह संविधान को नष्ट करने की एक और साजिश है."

तृणमूल कांग्रेस

तृणमूल कांग्रेस पार्टी के हाल ही में कांग्रेस के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. यह पार्टी भी विधेयक के विरोध में है. टीएमसी ने कहा कि पार्टी एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक का "पूरी ताकत से विरोध करेगी". टीएमपी सांसद अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, "यह विधेयक लोगों से नियमित रूप से मतदान करने के उनके मौलिक अधिकार को छीन लेगा, यह अधिकार सरकारों को जवाबदेह बनाता है और अनियंत्रित सत्ता को रोकता है."

द्रमुक भी विधेयक के विरोध में 

डीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि उनके सांसद भी विधेयकों का विरोध करेंगे , उन्होंने कहा कि भाजपा का अंतिम लक्ष्य राष्ट्रपति शासन प्रणाली की शुरुआत करना है. स्टालिन ने तर्क दिया कि अगर विधेयक पारित हो जाते हैं, तो समय-समय पर राज्य चुनावों की प्रणाली समाप्त हो जाएगी, जिससे क्षेत्रीय भावनाएं कमजोर होंगी.

इन पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन का किया समर्थन

टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस ने एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन किया है. विधेयकों को एनडीए के सहयोगी दलों जैसे चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जेडी(एस) और वाईएसआरसीपी जैसे तटस्थ दलों का समर्थन प्राप्त हुआ. YSRCP के सांसद पीवी मिथुन रेड्डी ने कहा कि पार्टी को एक साथ चुनाव कराने से कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा, "हम पहले से ही आम चुनावों के साथ राज्य चुनाव करा रहे हैं. हमें ज्यादा दिक्कत नहीं है. हम बिल का समर्थन करेंगे."

बीजेपी का कांग्रेस से सवाल?

कांग्रेस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में देश में एक साथ चुनाव होते थे. रिजिजू ने कहा, "जब भारत को आजादी मिली, तो दो दशकों तक भारत में एक राष्ट्र एक चुनाव था. कांग्रेस द्वारा अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करने के बाद ही अलग-अलग चुनाव हुए. क्या कांग्रेस का यह कहना है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की इतने लंबे समय तक सरकार अवैध थी?"