Women's Day 2025: भारत की वो पहली महिला पायलट, जिनकी उड़ान ने बदली सोच
जब पुरुषों के लिए उड़ान भरना एक पेशा था, तब एक साहसी महिला ने भारत की पहली महिला पायलट बनकर समाज की धारणाओं को चुनौती दी. जानिए इस प्रेरणादायक महिला की सफलता की कहानी, जिसने सीमाओं को तोड़ा.
Women Empowerment: जब हवा में उड़ान भरना सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, तब एक साहसी महिला ने समाज की सोच को गलत साबित कर दिया. सरला ठकराल ने भारत की पहली महिला पायलट बनकर इतिहास रच दिया और आने वाली पीढ़ियों को अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा दी.
आपको बता दें कि सरला ठकराल ने महज 21 साल की उम्र में पायलट बनने का सपना पूरा किया. 1936 में उन्होंने 'ए' लाइसेंस हासिल कर लिया और जिप्सी मॉथ विमान में अकेले उड़ान भरने वाली भारत की पहली महिला बनीं. उन्होंने लाहौर फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण लिया और 1,000 घंटे की उड़ान पूरी की. उनके इस साहसिक कदम ने भारतीय महिलाओं के लिए विमानन क्षेत्र के दरवाजे खोल दिए.
पति का सहयोग बना हौसला
बताते चले कि सरला का जन्म 8 अगस्त 1914 को दिल्ली में हुआ था. 16 साल की उम्र में उनकी शादी पीडी शर्मा से हुई, जो भारतीय एयरमेल पायलट का लाइसेंस पाने वाले पहले भारतीय थे. उनके पति और ससुराल वालों का विमानन क्षेत्र से गहरा जुड़ाव था, जिससे सरला को भी आसमान छूने की प्रेरणा मिली.
त्रासदी के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला
वहीं 1939 में उनके पति पीडी शर्मा की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जो उनके जीवन का सबसे कठिन समय था. सरला एक कॉमर्शियल पायलट बनना चाहती थीं, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण नागरिक विमानन प्रशिक्षण रोक दिया गया, जिससे उनका यह सपना अधूरा रह गया.
कला की दुनिया में बनाई नई पहचान
हालांकि, अपने बच्चे की परवरिश और आजीविका चलाने के लिए उन्होंने एक नया रास्ता चुना. वह लाहौर लौटीं और मेयो स्कूल ऑफ़ आर्ट में दाखिला लिया. वहां उन्होंने बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिंग में विशेषज्ञता हासिल की और बाद में ललित कला में डिप्लोमा प्राप्त किया.