ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार पिछले कई सालों से रहस्य बना हुआ है. 12वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है. मंदिर के अंदर ही रत्न भंडार है जो दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इसका बाहरी हिस्सा तो खुला है लेकिन भीतर का हिस्सा अब रहस्य बन चुका है. रिपोर्ट्स बताती है कि रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के कीमती आभूषण रखे हुए हैं जो किसी जमाने में राजाओं ने दान किए थे. इस पर लंबे समय से राजनीति भी हो रही है. कई बार चाबियां गायब होने की बात भी होती रही. हालांकि, अब यह रत्न भंडार खोला जाने वाला है. इस बीच स्थानीय प्रशासन सपेरों को तलाश रहा है. ऐसे में फिर से चर्चाएं होने लगी हैं कि क्या सच में सांप इस खजाने की रक्षा कर रहे हैं?
हर साल होने वालीरथ यात्रा या किसी खास त्योहारों पर विग्रहों को सजाने के लिए बाहरी भंडार से आभूषण निकाले जाते हैं लेकिन भीतरी भंडार पिछले 40 साल से नहीं खोला गया है. इसी साल हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा छाया रहा. सत्ता में आने से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वादा किया था कि उसकी सरकार बनी तो इस रत्न भंडार को खोला जाएगा. अब वह घड़ी आ गई है जब रत्न भंडार को खोला जाने वाला है. इस बीच एक नई समस्या साने आ रही है?
क्या प्राचीन मंदिरों में सांप खजानों की रखवाली करते हैं? कई फिल्मों में ऐसा कुछ कई बार दिखाया जा चुका है. ऐसे में पुरी के जगन्नाथ मंदिर के अधिकारियों को अलग-अलग आकार से सांपों से खतरा होने की आशंका जताई है. दरअसल, मंदिर के भंडार गृह को 14 जुलाई के बाद खोले जाने की तैयारियां की जा रही हैं. आशंका स्पष्ट होने के साथ ही श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने एक कुशल सपेरे की तलाश शुरू कर दी है, जिसे रत्न भंडार के खुलने के दौरान लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां तैनात किया जाएगा.
इसके अलावा, अगर कोई सांप पास आ भी जाए तो डाक्टरों की एक टीम दवाइयों के साथ तैयार रहेगी. एसजेटीए के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने रत्न भंडार खोले जाने के मौके पर एसओपी का मसौदा सरकार को मंजूरी के लिए भेजा है, जिसमें हमने दिव्य खजाने को खोलने के दौरान एक सपेरे और एक डाक्टरों की टीम की तैनाती की मांग की है.' बता दें कि रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को भगवान बलभद्र के लिए सोने का आभूषण लाने के लिए खोला गया था. मंदिर के खजाने के कीमती सामानों की आखिरी सूची 13 मई से 23 जुलाई 1978 के बीच बनाई गई थी. रत्न भंडार में जहरीले किंग कोबरा की मौजदूगी के बारे में किंवदंतिया और लोककथाए हैं.
16 सदस्यीय समिति के एक सेवक ने कहा, 'हालांकि हम रत्न भंडार में प्राचीन मूल्यवान वस्तुओं के प्रकार के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं लेकिन हम सांपों की संभावित उपस्थिति से भी उतने ही भयभीत हैं.' इसी समिति ने बीते मंगलवार को सरकार को 14 जुलाई से सूचीकरण और संरक्षण के लिए रत्न भंडार को खोलने का प्रस्ताव दिया है.
हरेकृष्ण महापात्रा ने कहा कि हाल ही में जगन्नाथ हेरिटेज कारिडोर परियोजना के तहत इसके सौंदर्यीकरण के दौरान मंदिर के आसपास के इलाकों में सांप पाए गए थे. यह एक सदियों पुराना मंदिर है, इसलिए कई जगहों पर छोटे छेद और दरारें हैं. रत्न भंडार में छेद के माध्यम से सांपों के घुसने की संभावना है. रत्न भंडार के उद्घाटन के दौरान पर्याप्त सावधान बरतनी चाहिए.