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चुनाव हारकर भी नवीन पटनायक ने अपने विधायकों को बांट दिए विभाग, जानिए क्या करेगी ये 'शैडो कैबिनेट'

बीजू जनता दल ने शैडो कैबिनेट बनाया है. जिन्हें शैडो मंत्री बनाया गया है, उनकी नजर सरकार की हर गतिविधि पर रहेगी. मंत्रालय क्या काम कर रहा है, मंत्री अपने काम के प्रति कितने गंभीर हैं, इन सबकी रिपोर्ट, विधायक, नवीन पटनायक को देंगे. आइए जानते हैं ओडिशा में बीजेपी सरकार को घेरने के लिए बीजेडी की तैयारी क्या है.

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Edited By: India Daily Live
Naveen Patnaik
Courtesy: Social Media

ओडिशा में बीजू जनता दल (BJP) की 2 दशक से काबिज सरकार की तो विदाई हो गई, लेकिन नवीन पटनायक के तेवर नहीं बदले. लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेडी की करारी हार हुई तो नवीन पटनायक परेशान नहीं हुए. राज्य विधानसभा में उन्होंने शैडो कैबिनेट बना ली. अब वे मौजूदा सरकार की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और उनके सभी मंत्रालयों पर निगरानी के लिए नवीन पटनायक ने अपने शौडो मंत्रियों को बिठा दिया है.

नवीन पटनायक, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और उन्होंने अपनी शैडो कैबिनेट बना ली है. उन्होंने अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी अपने 50 विधायकों को सौंप दी है. अब सरकार के हर विभाग पर उनकी नजर बनी रहेगी. विधानसभा में अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच करारा सवाल, जवाब होने वाला है.

क्या होगा शैडो कैबिनेट का काम?

बीजू जनता दल का कहना है कि विपक्ष काम सत्ता पक्ष पर नजर रखना है. राज्य के हर विभाग पर विपक्ष की नजर रहेगी. जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार से सवाल किया जाएगा. सरकार को हितों को लेकर जवाबदेह होना होगा. 50 विधायक, सरकार के हर विभाग पर नजर रखेंगे. नवीन पटनायक ने किस विधायक के पास कौन सा विभाग रहेगा, इसकी सूची भी सार्वजनिक कर दी है. रणेंद्र प्रताप को रेवेन्यू और आपदा प्रबंधन, प्रमिला मलिक को पंचायती राज और जल मंत्रालय, बद्री नरायाण पात्रा को महिला विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. ब्रज किशोर को स्वास्थ्य, राजेंद्र ढोलकिया को स्कूल, निरंजन पुजारी को गृह विभाग सौंपा गया है. 

शैडो कैबिनेट होती क्या है?

किसी विधानसभा में सत्ता प्रतिपक्ष, एक शैडो कैबिनेट गठित कर सकता है. विधायकों को अलग-अलग विभाग सौंपे जाते हैं, जिससे सरकार की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जा सके. ये सरकार के दावे, योजनाओं और कार्यशैली पर नजर रखते हैं. हर विधायक को एक मंत्रालय दिया जाता है. ये जनहित के मुद्दों को विधानसभा में उठाते हैं. इसे शैडो कैबिनेट कहते हैं.

शैडो कैबिनेट ब्रिटिश संसद से प्रभावित है. वहां ऐसी परंपरा रही है. भारत में यह सिद्धांत नया है. बीजेपी ने महाराष्ट्र, गोवा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में पहले भी शैडो कैबिनेट का प्रयोग किया है. इसकी वजह से विपक्ष सरकार की हर नीतियों से वाकिफ होती है और सदन में सही चर्चा हो पाती है. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में साल 2014 में भी एक शैडो कैबिनेट गठित की थी. अब ओडिशा की विधानसभा में मानसून सत्र में जबरदस्त हंगामा देखनो को मिल सकता है.