उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नया मार्ग तैयार किया जा रहा है, जिससे तीर्थयात्री बिना नेपाल या चीन गए यात्रा पूरी कर सकेंगे.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना को लगभग 85% पूरा कर लिया है और अगले एक साल में इसे पूर्ण करने का लक्ष्य है.
अब तक कैलाश मानसरोवर यात्रा नेपाल और चीन के रास्ते से होती थी, जिसमें 15-20 दिन लगते थे और कठिन भू-भाग के कारण यह यात्रा जोखिमभरी होती थी। 1998 में भूस्खलन के कारण 180 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। लेकिन नए मार्ग से यात्रा का समय और कठिनाई दोनों कम हो जाएंगी।
इस मार्ग को तीन खंडों में विभाजित किया गया है;
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 में पहले हिस्से का उद्घाटन किया था, जिससे यात्रा का समय पांच दिन से घटकर दो दिन हो गया.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि नया मार्ग पिथौरागढ़ से मानसरोवर तक 35-40 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें सिर्फ 35 किमी चीन का रोड इस्तेमाल किया जाएगा. इससे तीर्थयात्रियों को सीधी और सुरक्षित यात्रा का लाभ मिलेगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई 2021 में इस सड़क के पहले हिस्से का उद्घाटन किया था. इससे यात्रा का समय पांच दिन से घटकर दो दिन हो गया. घाटियाबगढ़ से लिपुलेख तक की सड़क का निर्माण कार्य जारी है. इसे अब एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
जान लें कि कैलाश मानसरोवर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. सरकार की इस परियोजना से न केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि सुरक्षा भी बढ़ेगी.