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India Daily

एक फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट, जानें वे 5 बजट जिसने बदली देश की किस्मत

Budget 2024: एक फरवरी 2024 को निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट में आपके लिए क्या खास होगा यह भी हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आज हम देश के 5 ऐसे बजट के बारे में बात करेंगे जिसके लागू होने के बाद कई बड़े बदलाव हुए.

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Edited By: Purushottam Kumar
Budget

हाइलाइट्स

  • एक फरवरी को पेश होगा देश का अंतरिम बजट
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी

Budget 2024: एक फरवरी 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं. इसी साल लोकसभा चुनाव होना है जिसके चलते वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इसे अंतरिम बजट बताया गया है. इस बजट से जनता को कई उम्मीदें हैं. इस बजट में आपके लिए क्या खास होगा यह भी हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आज हम देश के 5 ऐसे बजट के बारे में बात करेंगे जिसके लागू होने के बाद कई बड़े बदलाव हुए. आइए देश के इन 5 बजट पर बात करते हैं.

टीटी कृष्णमाचारी

टीटी कृष्णमाचारी ने वित्त वर्ष 1957-58 में टैक्स सुधार लागू किए थे. टैक्स सुधार लागू होने के बाद लोगों की व्यक्तिगत संपत्तियों पर वेल्थ टैक्स लगाया गया था. यह वेल्थ टैक्स 2015 तक अलग-अलग बदलावों के साथ जारी रहा. इसके बाद उसका अंत हुआ.

पी चिदंबरम
पी चिदंबरम ने साल 1997-98 में बजट पेश किया. इसे बजट को वित्तीय विशेषज्ञों ने ड्रीम बजट बताया. इस बजट में पी चिदंबरम ने इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया. इनकम टैक्स की अधिकतम दर को 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया. इसके साथ ही कई सरचार्ज भी हटा दिए गए.

मनमोहन सिंह
नरसिम्हा राव की सरकार में जब आर्थिक संकट की स्थिति हुई तो उन्होंने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया. उस समय किसी को भी पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है. मगर, मनमोहन सिंह ने 1991-92 में जो बजट पेश किया उसे आज भी भारतीय इतिहास में एक लैंडमार्क के तौर पर देखा जाता है. मनमोहन सिंह के बजट के बाद देश गंभीर आर्थिक संकट के चंगुल में फंसने से बचा था

यशवंत सिन्हा 
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने साल 2000-01 के लिए पूर्ण बजट पेश किया. यह बजट आईटी सेक्टर में एक बड़ी क्रांति लाने के लिए जाना जाता है. इस दौरान 21 चीजों पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई थी.

अरुण जेटली
साल 2017-18 से पहले हर साल रेलवे के लिए अलग से बजट पेश किया जाता था. इस परंपरा को अरुण जेटली ने खत्म करते हुए अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. इसके बाद से ही यह परंपरा जारी है.