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निर्भया कांड: दर्द के 12 साल... बस नंबर 0149 देख आज भी आ जाता है खून में उबाल, आज तक क्यों नहीं हुई स्क्रैप?

Nirbhaya Case Bus: आज से ठीक 12 साल पहले, 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर घटी वह दर्दनाक घटना जिसने पूरे देश को हिला दिया था. हालांकि दोषियों को फांसी की सजा भी मिल चुकी है, लेकिन उस कांड में इस्तेमाल हुई बस, जो आज भी सागरपुर थाने के सामने खड़ी है

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Edited By: Babli Rautela
Nirbhaya Case Bus
Courtesy: Social Media

Nirbhaya Case Bus: आज से ठीक 12 साल पहले, 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर घटी वह दर्दनाक घटना जिसने पूरे देश को हिला दिया था. निर्भया कांड, जिसमें एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसके बाद उसे बुरी तरह से घायल करके सड़क पर फेंक दिया गया, आज भी लोगों की यादों में ताजा है. हालांकि दोषियों को फांसी की सजा भी मिल चुकी है, लेकिन उस कांड में इस्तेमाल हुई बस, जो आज भी सागरपुर थाने के सामने खड़ी है, किसी के ध्यान में नहीं आ रही. दिल्ली पुलिस की लापरवाही के चलते यह मनहूस बस अब भी वहीं खड़ी है, जिससे जुड़ी यादें और पीड़ा लोगों के दिलों में ताजा हो जाती हैं.

बस की स्क्रैप प्रक्रिया में लापरवाही

निर्भया कांड के दोषियों को सजा मिल जाने के बावजूद, उस हादसे में उपयोग की गई बस को स्क्रैप करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, इस बस को 90 दिनों के अंतर स्क्रैप या नष्ट करने का आदेश दिया जाना चाहिए था. अगर बस के मालिक ने अपील नहीं की तो यह पुलिस की जिम्मेदारी बन जाती है. बावजूद इसके, इस बस का न तो निपटान किया गया है और न ही इसे स्क्रैप के लिए भेजा गया है.

दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, अगर केस खत्म होने के बाद बस मालिक अपील नहीं करता है, तो फिर पुलिस की जिम्मेदारी हो जाती है. संबंधित थाना इस प्रॉपर्टी का निपटान करता है, चाहे तो उसे नीलाम कर देता है या खराब हालत में होने पर कोर्ट से आदेश लेकर उसे नष्ट कर देता है. ऐसे मामलों में गाइडलाइन पहले से ही तय की जा चुकी है, लेकिन इस बस के मामले में पुलिस की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया.

बस का खंडहर रूप

इस बस का हाल अब खटारा हो चुका है. इसके पर्दे फट चुके हैं, और अंदर की हालत भी खराब हो चुकी है. बस अब लोहे के ढांचे में तब्दील हो चुकी है. सागरपुर थाने के पिट में इसे छिपाकर रखा गया था, और पहले इसे त्यागराज स्टेडियम और वसंत विहार जैसे स्थानों पर भी रखा गया था. यह बस अब अपनी बुरी हालत के बावजूद थाने के सामने खड़ी है, जो उस कांड की यादें ताजा करती है.

हैवानियत की गवाह हुई बस

निर्भया कांड की जांच में शामिल रहे पुलिसकर्मी और एसआईटी के सदस्य एसीपी राजेंद्र सिंह के अनुसार, यह बस उस कांड का प्रतीक बन चुकी है. उन्होंने बताया कि इस बस के मालिक दिनेश यादव थे, और यह बस नोएडा से सवारी लेकर आती-जाती थी. वारदात के दिन, बस के चालक राम सिंह और दूसरे आरोपियों ने बस में ही पीड़िता और उसके साथी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया. इसके बाद दोनों को सड़क पर फेंक दिया गया था, और आरोपियों ने बस का पहिया पीड़ितों पर चढ़ाने की कोशिश की थी. वहीं, एसीपी राजेंद्र सिंह ने कहा कि जब भी वह इस बस को देखते हैं, तो उनकी आंखों के सामने उस दर्दनाक घटना की यादें ताजगी से उभर आती हैं. एक पुलिसकर्मी के लिए यह बस उस सफलता का प्रतीक है, जिसने दरिंदों को सजा दिलवाने में मदद की. हालांकि, इसके सामने खड़ी रहकर यह बस हर बार नए दर्द और गुस्से को जन्म देती है.