Waqf Dispute: विवादित वक्फ अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. अदालत ने खासतौर पर वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को अनिवार्य रूप से शामिल करने वाले प्रावधान पर रोक लगाई है. वहीं वक्फ एक्ट को लेकर अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की गई है.
'यूजर बाय वक्फ' प्रावधान पर भी स्टे
बता दें कि चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, तब तक 'वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता' (User by Waqf) से जुड़ी किसी भी अधिसूचना या राजपत्र की घोषणा न की जाए. इस प्रावधान को लेकर पहले ही कई पक्षों ने आपत्ति जताई थी.
वक्फ अधिनियम में कोई बदलाव नहीं होगा
8 अप्रैल से लागू हुए नए वक्फ अधिनियम 2025 में विवादित 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' प्रावधान को हटाया जा चुका है. यह प्रावधान बिना किसी कानूनी दस्तावेज के किसी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित करने की अनुमति देता था.
Petitions challenging validity of the Waqf (Amendment) Act, 2025 | Supreme Court takes on record the statement of Solicitor General that Centre will respond within seven days. SC says, Solicitor General assures the court that no appointments will be made to the Council and Board.… pic.twitter.com/268WDzhvIT
— ANI (@ANI) April 17, 2025
सरकार ने कोर्ट को दिया आश्वासन
वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 5 मई तक वक्फ बोर्ड या परिषद में किसी भी तरह की नई नियुक्ति नहीं की जाएगी. साथ ही उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय भी मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ कानून के कुछ हिस्सों पर जरूर विचार किया जा सकता है, लेकिन पूरे अधिनियम पर रोक नहीं लगाई जा सकती. अदालत ने कहा, ''हमने देखा है कि कानून में कई सकारात्मक प्रावधान हैं, इसलिए इस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.''
क्या है मामला?
बताते चले कि 2025 के नए वक्फ कानून में वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव करते हुए उसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति की बात कही गई थी. इस पर कई संगठनों ने आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.