menu-icon
India Daily

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा विवाद में आया नया मोड़, फायर बिग्रेड अधिकारी ने कैश मिलने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े एक विवाद पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में कैश बरामद की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले से जुड़ी रिपोर्टों में गलत जानकारी और अफवाहें फैलाई जा रही हैं.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा
Courtesy: Social Media

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी मात्रा में कैश राशि बरामद होने के बाद, शुक्रवार (21 मार्च) को दिल्ली फायर सर्विसेज के प्रमुख अतुल गर्ग ने बयान दिया कि फायरफाइटिंग ऑपरेशन के दौरान कोई कैश राशि नहीं मिली. यह नया मोड़ उस विवाद में आया है, जिसने मीडिया में तूल पकड़ा था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहले यह रिपोर्ट की गई थी कि जब यशवंत वर्मा के घर में आग बुझाई गई, तो फायरफाइटर्स ने एक कमरे में बड़ी मात्रा में कैश राशि पाई थी, जिसके बाद वरिष्ठ जज के खिलाफ जांच शुरू की गई थी. फायर सर्विसेज के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि आग एक स्टोर रूम में लगी थी, जिसमें स्टेशनरी और घरेलू सामान थे. आग को नियंत्रण में लाने में 15 मिनट लगे.

जानिए क्या हुआ था फायरफाइटिंग ऑपरेशन में?

दिल्ली फायर सर्विसेज के चीफ अतुल गर्ग ने कहा, "आग बुझाने के तत्काल बाद हमने पुलिस को इस घटना की सूचना दी. उसके बाद हमारी फायर डिपार्टमेंट की टीम ने जगह छोड़ दिया. हमारी टीम ने फायरफाइटिंग ऑपरेशन के दौरान कोई कैश रकम नहीं पाई.

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में फैलाई जा रही हैं गलत जानकारी और अफवाहें

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े एक विवाद पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में कैश बरामद की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले से जुड़ी रिपोर्टों में गलत जानकारी और अफवाहें फैलाई जा रही हैं.

जस्टिस वर्मा का तबादला और इन-हाउस जांच

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादला एक स्वतंत्र और अलग प्रक्रिया है, जो कि उनकी खिलाफ चल रही इन-हाउस जांच से बिल्कुल अलग है. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस तबादले का संबंध किसी भी तरह से वर्मा के सरकारी आवास में हुई घटना से नहीं है.

दिल्ली HC के मुख्य न्यायाधीश की जांच

जैसे ही यह मामला सामने आया, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने तुरंत इस घटना की जांच शुरू कर दी थी. वे जांच के दौरान सभी जरूरी सबूत जुटा रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि डी.के. उपाध्याय ने 20 मार्च को ही इस जांच को शुरू किया था, और आज वे अपनी जांच रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपने जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला

इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में करने का आदेश दिया था. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय कॉलेजियम ने, सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता में लिया. कॉलेजियम ने उन रिपोर्ट्स और वीडियो फुटेज की जांच की थी, जिनमें कथित तौर पर जस्टिस वर्मा के आवास में जलती हुई कैश दिखाई गई थी.