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India Daily

न्यू इंडिया सहकारी बैंक का पूर्व सीईओ पर 122 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप, हुई गिरफ्तारी

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में भोआन की गिरफ्तारी तीसरी बड़ी कार्रवाई है. इससे पहले बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक हितेश मेहता को गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के खजाने से 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी की. पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले में कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं. 

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Edited By: Reepu Kumari
Former CEO of New India Cooperative Bank accused of fraud of Rs 122 crore, arrested
Courtesy: Pinterest

Bank Fraud: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया सहकारी बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अभिमन्यु भोआन को 122 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह घोटाला बैंक के भीतर लंबे समय से चल रहा था और इसकी परतें अब खुलकर सामने आ रही हैं.

बैंक घोटाले में तीसरी बड़ी गिरफ्तारी

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में भोआन की गिरफ्तारी तीसरी बड़ी कार्रवाई है. इससे पहले बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक हितेश मेहता को गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के खजाने से 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी की. पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले में कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं. 

कैसे हुआ बैंकिंग घोटाला?

जांच में खुलासा हुआ है कि यह घोटाला फर्जी दस्तावेजों और बैंकिंग प्रक्रियाओं के उल्लंघन के जरिए अंजाम दिया गया. बैंक के अंदरूनी अधिकारियों ने नकली लेनदेन दिखाकर धनराशि का दुरुपयोग किया. फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया कि बैंक के रिकॉर्ड में कई खामियां थीं, जिन्हें लंबे समय तक छिपाया गया.

EOW की जांच और आगे की कार्रवाई 

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बैंक के अन्य अधिकारी भी इस गबन में शामिल थे या नहीं. पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि जल्द ही अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं. 

सहकारी बैंकों पर बढ़ी निगरानी  

इस धोखाधड़ी ने सहकारी बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य नियामक संस्थाएं इस मामले को लेकर सख्त कदम उठा सकती हैं.

क्या कहते हैं वित्तीय विशेषज्ञ?  

वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के घोटाले बैंकिंग प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करते हैं. एक वरिष्ठ बैंकिंग विशेषज्ञ ने कहा, 'इस तरह के घोटाले केवल एक या दो व्यक्तियों की साजिश नहीं होते, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही को दर्शाते हैं.'

आगे क्या?

अब इस मामले में अदालत में कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी और पुलिस द्वारा सबूत पेश किए जाएंगे. अभिमन्यु भोआन और हितेश मेहता पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और सरकारी नियमों के उल्लंघन जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने संकेत दिया है कि बैंकिंग नियामक संस्थाओं से भी इस मामले में सहायता मांगी जाएगी.
 यह घोटाला सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एक और बड़ा झटका है, जिसने आम जनता के विश्वास को हिला दिया है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय और नियामक संस्थाएं इस पर क्या कदम उठाती हैं और क्या अन्य सहकारी बैंकों की वित्तीय गतिविधियों की जांच तेज होगी.