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'ठेले पर खुद ढोए 15 शव', नई दिल्ली स्टेशन पर मौजूद कुली ने सुनाई भगदड़ के भयानक मंजर की काली कहानी

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे शामिल हैं. हादसा प्लेटफॉर्म 13 और 14 के बीच हुआ, जब श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे. कुली सुगन लाल मीणा ने घटना के बारे में बताया.

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NDLS Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई एक भीषण भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हो गए. मरने वालों में 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे शामिल हैं. मृतकों में 9 बिहार, 8 दिल्ली और 1 हरियाणा का निवासी है. यह हादसा रात करीब 10 बजे प्लेटफॉर्म 13 और 14 के बीच हुआ. बताया जा रहा है कि घटना के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए स्टेशन पर एकत्रित हो रहे थे और ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे.

इस दर्दनाक हादसे के बाद रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुली सुगन लाल मीणा ने इस घटना के बारे में बताया. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपनी टीम के साथ 15 शवों को बाहर निकाला और उन्हें एंबुलेंस में रखा. मीणा ने कहा, 'मैं 1981 से कुली का काम कर रहा हूं, लेकिन इस तरह की भीड़ और भगदड़ मैंने पहले कभी नहीं देखी. प्लेटफॉर्म बदलने की वजह से भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए और कई लोग दम घुटने से मर गए.'

हादसा कैसे हुआ?

सुगन लाल मीणा ने बताया कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना होना था, लेकिन अचानक उसे प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर शिफ्ट कर दिया गया. जैसे ही यात्रियों ने प्लेटफॉर्म बदलने की सूचना सुनी, वे एक ही समय में प्लेटफॉर्म 16 की ओर भागने लगे. इस दौरान अफरा-तफरी मच गई और लोग एक-दूसरे से टकरा गए. कई लोग एस्केलेटर और सीढ़ियों से गिर पड़े और बुरी तरह दब गए.

कुली सुगन लाल मीणा ने आगे बताया, 'भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उसे नियंत्रित करना मुश्किल हो गया. कई लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए. कुछ लोग गिरकर दब गए और उन्हें बाहर निकालने में भारी मुश्किलें आईं. हमने कम से कम 15 शवों को बाहर निकाला और एंबुलेंस में रखकर अस्पताल भेजा. पूरे प्लेटफॉर्म पर जूते और कपड़े बिखरे पड़े थे. पुलिस और दमकल विभाग को बुलाया गया, जिसके बाद घायलों को अस्पताल भेजा गया.'

प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया?

हादसे के वक्त स्टेशन पर मौजूद एक और प्रत्यक्षदर्शी रवि ने बताया कि भगदड़ करीब 9:30 बजे मची थी. प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर खड़े यात्रियों ने देखा कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर ट्रेनें आ रही थीं, तो वे जल्दी से वहां जाने लगे. हालांकि, ट्रेनें अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बदलीं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि स्टेशन प्रशासन उसे संभालने में नाकाम रहा. 

इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि स्टेशन पर भीड़-भाड़ और प्लेटफॉर्म बदलने जैसी गतिविधियों को लेकर रेलवे प्रशासन को और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी है, ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके.

मुआवजे का ऐलान

हादसे के बाद सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है. साथ ही, घायलों के इलाज के लिए भी सहायता दी जाएगी. इस घटना ने रेलवे प्रशासन और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, कि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे.