Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों का अभी शंखनाद नहीं हुआ है. चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान नहीं किया है. लेकिन राजनीतिक दलों के बीच चल रह रसा कसी ने माहौल बना दिया है. चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले ही दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है. उधर कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 21 नामों का ऐलान कर चुकी है. लेकिन बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं. इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. कारण हैं अरविंद केजरीवाल. वह इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को उतारकर इसे और रोचक बना दिया है. वहीं, बीजेपी परवेश वर्मा को टिकट देकर मुकाबले को और रोचक बना सकती है. यानी इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है.
अगले सार जनवरी या फरवरी में दिल्ली के विधनसभा चुनाव हो सकते हैं. लेकिन चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले जो माहौल बना है उसने एक नई बहस छेड़ दी है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव बहुत ही खास होने वाला है. केजरीवाल को बीजेपी और कांग्रेस से कांटे की टक्कर मिल सकती है.
नई दिल्ली विधानसभा सीट से इस बार तीन मुख्यमंत्री घराना चुनावी मैदान में है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यहां से 2025 के चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट देकर इसे और भी रोचक बना दिया है. शीला दीक्षित लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. उन्होंने 1998 से 2013 तक दिल्ली की जनता का प्रतिनिधित्व किया. तीनों बार उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव जीता.
2013 में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीता और मुख्यमंत्री बने. वो भी लगाातर 3 बार नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीत रहे हैं. और तीनों बार मुख्यमंत्री बने. ऐसे में एक समीकरण यह बना रहा है कि जिस तरह शीला दिक्षित लगातार नई दिल्ली से जीतकर मुख्यमंत्री बनीं थी और चौथी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. कहीं इस बार शीला दीक्षित की तरह अरविंद केजरीवाल के साथ न हो जाए? उनके जीत का सिलसिला थम न जाए. शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित अपनी पारिवारिक सीट जीतकर एक बार फिर से कांग्रेस की दिल्ली में वापसी करना चाहेंगे.
बीजेपी ने अभी दिल्ली विधानसभा के लिए एक भी लिस्ट नहीं जारी की है. लेकिन आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा को बीजेपी नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है. अगर ऐसा हुआ तो एक पूर्व सीएम को दो पूर्व सीएम के बेटों से चुनौती मिलेगी.
साहिब सिंह वर्मा ने 1996 से 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया. लेकिन प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से उन्होंने चुनाव से 50 दिनों पहले ही अपनी कुर्सी से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के तुरंत बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास छोड़ा और बस से अपने गांव मुंडका चले गए. 1999 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बनें. अब उन्हीं के बेटे परेवश वर्मा नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल को चुनौती देंगे.
कांग्रेस ने नई दिल्ली से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने अभी औपचारिक रूप से किसी भी कैंडिडेट का ऐलान नहीं किया है. लेकिन परवेश वर्मा का नाम सुर्खियों में हैं. वह नई दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार हो सकते हैं. इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय समीकरण बन रहा है. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस मिलकर अरविंद केजरीवाल को सत्ता से बेदखल करने के लिए मजबूत रणनीति के साथ काम कर रही हैं. चुनाव की तारीखों से ऐलान से पहले जहां आम आदमी पार्टी ने 70 की 70 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करके सभी को चौंका दिया है.