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3 नए आपराधिक कानून लागू, क्या राज्य सरकारें और पुलिस तैयार हैं?

New Criminal Laws: अंग्रेजों के जमाने के तीन आपराधिक कानून आज से खत्म हो गए. इनकी जगह तीन नए आपराधिक कानून लाए गए हैं, जिन्हें आधुनिक करार दिया जा रहा है. तीनों नए कानून में कुछ बड़े अपराधों के लिए नई धाराओं का यूज होगा. इसके अलावा, जीरो FIR, शिकायतों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, SMS के जरिए समन जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं.

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Courtesy: Social Media

 New Criminal Laws: तीन नए आपराधिक कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) आज से पूरे देश में लागू हो गए. इनसे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में परिवर्तन आने की उम्मीद हैं. इन तीनों कानूनों ने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता , दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है.

तीनों नए कानून को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष के कुछ नेताओं ने इसे स्थगित करने की अपील भी की है. कुछ लोगों का कहना है कि पहले इसके बारे में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. कुछ लोगों का कहना है कि तीनों नए काननों को पुलिस ही अभी पूरी तरह से नहीं समझ पाई है, ऐसे में जनता इसे कैसे समझेगी. आइए, जानते हैं कि राज्य सरकारें और वहां की पुलिस इन तीनों नए कानूनों को लागू करने की तैयारी आखिर कैसे कर रहे हैं?

दिल्ली: दिल्ली पुलिस तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि नए कानूनों को समझने के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग दी गई है. ट्रेनिंग लेने वाले पुलिसकर्मियोंको नए कानूनों को समझने के लिए बुकलेट्स दी गईं. जनवरी में, कानूनों का अध्ययन करने और दिल्ली पुलिस कर्मियों के लिए स्टडी मैटेरियल तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था.

कमेटी का नेतृत्व स्पेशल पुलिस कमिश्नर छाया शर्मा ने किया और इसमें डीसीपी जॉय तिर्की, अतिरिक्त डीसीपी उमा शंकर और अन्य अधिकारी शामिल थे. अधिकारी ने कहा कि पिछले 15 दिनों के दौरान, दिल्ली पुलिस कर्मियों ने एक टेस्टिंग प्रोसेस शुरू की, जहां उन्होंने डमी FIR दर्ज की. एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि नए कानून के अनुसार, साक्ष्य से छेड़छाड़ को रोकने के लिए अपराध स्थल पर एविडेंस कलेक्शन प्रॉसिजर की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी की जाएगी. पुलिस अधिकारी ने कहा कि कानून को समझने में उनकी मदद करने के लिए जांच अधिकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर होंगे.

बिहार: बिहार पुलिस तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए टेक्नोलॉजी और जागरूकता पैदा करने के मामले में पूरी तरह से तैयार है. अधिकारियों ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं को उजागर करने के लिए आज बिहार के हर पुलिस स्टेशन में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. बिहार पुलिस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि नए कानूनों के लागू होने से पहले अपने 25,000 सीनियर अधिकारियों को डिजिटल पुलिसिंग के बारे में ट्रेनिंग दी गई है.

त्रिपुरा: एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सरकार ने तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं. त्रिपुरा के गृह सचिव पीके चक्रवर्ती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार ने आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं. इस कदम से ज्यूडिशयरी में मॉर्डेनाइजेशन, क्विक जस्टिस और पीड़ितों के हितों की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि गृह विभाग ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों, समाज कल्याण विभाग और कानून विभाग समेत सभी हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले ही पूरा कर लिया है.

मिजोरम: मिजोरम सरकार ने तीन नए आपराधिक कानूनों के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कई पहल शुरू की है. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक (कानून और व्यवस्था) लालबियाकथांगा खियांगटे ने कहा कि तीनों नए कानूनों का मिजो भाषा में अनुवाद नहीं किया जा रहा है.

अरुणाचल प्रदेश: एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि राज्य तीन नए आपराधिक कानूनों के अंग्रेजी और हिंदी वर्जन का उपयोग करेगा. उन्होंने कहा कि अधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों को नए कानूनों के बारे में अंग्रेजी और हिंदी में ट्रेंड किया जा रहा है. अंग्रेजी पूर्वोत्तर राज्य की आधिकारिक भाषा है. अधिकारी ने कहा कि हम (तीनों कानूनों के) अंग्रेजी और हिंदी वर्जन का यूज करेंगे. उनका किसी स्थानीय भाषा में अनुवाद नहीं किया जा रहा है. 

असम: एक टॉप अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि असम पुलिस नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. डीजीपी जीपी सिंह ने कहा कि राज्य की पुलिस पिछले तीन वर्षों से इन नए कानूनों की तैयारी कर रहा थी, जब से पहला मसौदा सार्वजनिक किया गया था. नए कानूनों को 'मील का पत्थर' बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कानून औपनिवेशिक काल से हमारे देश की स्वतंत्र इच्छा को दर्शाने वाले कानूनों में बदलाव का प्रतीक हैं.

तमिलनाडु: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पिछले सप्ताह कहा कि न्यायिक और पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है. एमके स्टालिन ने कहा कि ये सच है कि 1 जुलाई से लागू होने वाले नए कानूनों को समझने के लिए समय की आवश्यकता है. इसके अधिनियमन के दौरान ही, DMK ने संसद में इन नए कानूनों का कड़ा विरोध किया था. सीएम ने याद दिलाया कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नए कानूनों के कार्यान्वयन को स्थगित करने की मांग की थी और राज्यों के साथ उचित परामर्श का भी आग्रह किया था.

हिमाचल प्रदेश: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अभिषेक त्रिवेदी ने जारी बयान में कहा कि नए कानून सुधारवादी दर्शन को मूर्त रूप देते हैं, न कि प्रतिशोधात्मक दर्शन को और यह व्यवस्था को पारदर्शी, मजबूत और प्रभावी बनाएगा. अधिकारियों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 1 जुलाई की आधी रात से दर्ज सभी मामलों की सुनवाई नए आपराधिक कानूनों के अनुसार की जाएगी. त्रिवेदी ने कहा कि नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी जोरों पर है. एजीडीपी ने कहा कि नए कानून ई-एफआईआर दाखिल करने में पूरे देश में एकरूपता लाएंगे, जिसमें मोबाइल फोन और एप्लिकेशन पर जोर दिया जाएगा. इसमें कहा गया है कि पुलिस की ओर से की गई सभी जब्ती की अब वीडियोग्राफी करनी होगी.

ओडिशा: पिछले हफ़्ते एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि राज्य पुलिस तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए तैयार है. ओडिशा के डीजीपी अरुण सारंगी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की है और हम इसे लागू करने के लिए तैयार हैं. ओडिशा पुलिस पुलिस अधिकारियों (निरीक्षकों और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों) के लिए ट्रेनिंग सेशन आयोजित कर रही है.

जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन नए आपराधिक न्याय कानूनों पर एक स्टडी मैटेरियल तैयार किया है जिसमें उर्दू भाषा में जांच, गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और प्रॉसिक्यूशन के बारे में विस्तृत प्रोविजन शामिल हैं. सीनियर एसपी मुबस्सिर लतीफी की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति की ओर से इस मैटेरियल को पिछले सप्ताह सार्वजनिक किया गया था, जब मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने नए कानूनों को लागू करने की तैयारियों का अलग से आकलन किया था.

अब संक्षेप में तीन नए आपराधिक कानूनों के बारे में जान लीजिए

तीन नए आपराधिक कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल है, जो 1860 के भारतीय दंड संहिता, 1898 के दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून, न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि ब्रिटिश काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी. उन्होंने कहा कि ये कानून भारतीयों की ओर से, भारतीयों के लिए तथा भारतीय संसद की ओर से बनाए गए हैं तथा ये औपनिवेशिक आपराधिक न्याय कानूनों का अंत हैं. 

नये कानून के अनुसार, आपराधिक मामलों में फैसला सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर होगी और आरोप पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर तय किये जाएंगे. रेप पीड़िता का बयान उसके गार्जियन या रिश्तेदार की उपस्थिति में महिला पुलिस अधिकारी की ओर से दर्ज किया जाएगा और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर आएगी.