New Criminal Codes: देश में आज से अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे तीन कानूनों को बदल दिया गया. तीनों पुराने कानूनों की जगह नए कानून लागू हो गए हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने पुरानी भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है.
तीनों नए कानूनों के लागू होते ही सोमवार सुबह भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत पहली FIR दर्ज की गई. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत पहली FIR दर्ज की गई.
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे जाम लगाने के आरोप में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया.
Delhi: First FIR u/s of Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 registered at Kamla Market PS in Delhi. Case registered against a street vendor u/s 285 of Bharatiya Nyaya Sanhita for obstruction under foot over bridge of New Delhi Railway Station and making sales.
— ANI (@ANI) July 1, 2024
आईपीसी के तहत, हत्या, रेप, डकैती, चोरी के अलावा अन्य अपराधों के तहत लगने वाली धारा अब बदल गई है. मसलन, धोखधड़ी और ठगी के लिए आईपीसी की धारा 420 के तहत सजा का प्रावधान था, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता 2023 यानी BNS के तहत आरोपी के खिलाफ धारा 318 लगेगी. हत्या के लिए IPC के तहत धारा 302 का यूज होता था, लेकिन अब BNS में हत्या के आरोपी या आरोपियों पर धारा 103 लगेगी.
आज से इतिहास बन गए IPC में 511 धाराएं थीं, लेकिन अब नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता में 357 धाराएं हैं. नाबालिग से रेप या मॉब लिंचिंग जैसे अपराधों के लिए नए भारतीय न्याय संहिता में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. नए कानून के तहत पीड़ित को जल्द न्याय मिल सके, इसका प्रावधान किया गया है. साथ ही पुराने कानून में मौजूद कई अन्य पेचिदगियों को दूर किया गया है. मसलन, अब रेप पीड़िता को थाने जाकर अपना बयान दर्ज नहीं कराना होगा. पुलिस मोबाइल के जरिए वीडियो-ऑडियो फॉर्मेट में पीड़िता का बयान दर्ज कर सकेगी.
New Criminal Codes: ब्रिटिश काल के तीन कानून आज से इतिहास बन जाएंगे. पुराने समय के IPC, CrPC और एविडेंट एक्ट की जगह आज से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होंगे. दावा किया जा रहा है कि इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन आएगा. पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.