Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय लेते हुए स्पष्ट किया है कि विदेश में एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के लिए NEET UG क्वालिफाई करना अनिवार्य होगा. यह नियम उन छात्रों पर लागू होगा जो भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने की योजना बना रहे हैं. अदालत ने इस नियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और किसी भी प्रकार की एकमुश्त छूट से इनकार कर दिया.
NEET UG की अनिवार्यता पर कोर्ट की मुहर
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा 2018 में लागू किए गए नियम को सही ठहराया, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया था कि विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्र भी भारत में डॉक्टर बनने के लिए आवश्यक मानकों को पूरा करें. वहीं अदालत ने कहा कि NEET UG एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया है, जिससे मेडिकल शिक्षा में गुणवत्ता और एकरूपता बनी रहती है. यह विनियमन ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 1997 के अनुरूप है और किसी भी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता.
कोई छूट नहीं मिलेगी
वहीं बता दें कि नियम को चुनौती देने वाले छात्रों ने दलील दी थी कि इस प्रावधान को लागू करने से पहले भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 में संशोधन नहीं किया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि एमसीआई को अधिनियम की धारा 33 के तहत इस नियम को लागू करने का पूरा अधिकार है.
साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जो छात्र विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं और भारत में डॉक्टर के रूप में काम करना चाहते हैं, उन्हें NEET UG पास करना ही होगा. हालांकि, जो छात्र विदेश में ही पढ़ाई और नौकरी करना चाहते हैं, उनके लिए NEET अनिवार्य नहीं है.
छात्रों को ध्यान रखना होगा यह नियम
इसके अलावा, यह फैसला उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो यूक्रेन, रूस, चीन, फिलीपींस और अन्य देशों में एमबीबीएस करने की योजना बना रहे हैं. अब उन्हें विदेश में एडमिशन लेने से पहले NEET UG परीक्षा पास करनी ही होगी. इस फैसले से भारत में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को और मजबूती मिलेगी और विदेश से पढ़कर आने वाले डॉक्टरों के लिए भी मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा.