NEET UG 2024 परीक्षा को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) सवालों के घेरे में है. केंद्र सरकार, इस परीक्षा में हुई कथित धांधली को लेकर विपक्षी नेताओं के निशाने पर है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एनटीए और नीट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि इसके प्रबंधन का ऐसा तरीका है जो संदेहास्पद है. उन्होंने नीट पर भेदभाव के भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि यह सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि इसमें आई अनियमितताओं को दूर करे. नीट मामले पर खुद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि NTA में सुधार की जरूरत है. किसी भी दोषी को हम नहीं बख्शेंगे.
जयराम रमेश ने कुछ मुद्दों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने X पर लिखा, 'मैं 2014 और 2019 के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति का सदस्य था. मैं उस समय NEET के लिए मिलने वाले व्यापक समर्थन को याद करता हूं. ऐसे सांसद भी थे, विशेष रूप से तमिलनाडु से जिन्होंने चिंता जताई थी कि NEET से सीबीएसई के छात्रों को लाभ मिलेगा और दूसरे बोर्ड एवं स्कूलों से आने वाले स्टूडेंट्स को नुकसान पहुंचेगा.'
जयराम रमेश ने लिखा, 'मुझे अब लगता है कि सीबीएसई के इस मुद्दे पर उचित विश्लेषण की जरूरत है. क्या NEET भेद-भाव से भरा है? क्या गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है? महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों ने भी NEET को लेकर गहरा संदेह जताया है.'
मैं 2014 और 2019 के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति का सदस्य था। मैं उस समय NEET के लिए मिलने वाले व्यापक समर्थन को याद करता हूं। लेकिन ऐसे सांसद भी थे — विशेष रूप से तमिलनाडु से — जिन्होंने चिंता जताई थी कि NEET से सीबीएसई के छात्रों को लाभ मिलेगा और…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 16, 2024
उन्होंने लिखा, 'राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की सत्यनिष्ठा और NEET को जिस तरह से डिज़ाइन और प्रशासित किया जाता है उसके तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. पिछले दशक में NCERT का खुद का प्रोफेशनलिज्म खत्म हुआ है. उम्मीद है कि नई स्थायी समिति गठित होने पर NEET, NTA और NCERT की गहन समीक्षा करेगी. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए.'
नीट-यूजी परीक्षा 2024 5 मई को हुई थी. इसके नतीजे 4 जून को ही सामने आए थे. इस चुनाव में 67 छात्र, पहली रैंक पर थे. कुछ स्टूडेंट ऐसे थे, जिन्होंने 720 में से 720 नंबर हासिल कर लिए थे. 1563 कैंडिडेट ऐसे थे जिन्हें ग्रेस नंबर दिया था, क्योंकि उन्होंने देरी से एग्जाम दिया था. हर सही उत्तर के लिए 4 और गलत उत्तर के लिए -1 नंबर का प्रावधान था. इसके बाद भी कुछ उम्मीदवारों ने 718/719 अंक हासिल कर लिए. यह किसी भी तरीके से हासिल नहीं किया जा सकता था.