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सुप्रीम कोर्ट में NEET पर रार, किन बातों पर उलझे ASG-वकील? पढ़ें एक-एक बात

8 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान, CJI DY चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र सरकार और एनटीए से जवाब मांगा था. पेपर लीक केस में सभी पक्षों से सवाल किए गए थे. कोर्ट ने कहा था कि अगर परीक्षा की पवित्रता पर सवाल उठे हैं, जो लोग गलत तरीके से लाभार्थी हैं, उनकी पहचान कठिन तो परीक्षा दोबारा होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि दोबारा परीक्षा अंतिम विकल्प है. इस परीक्षा में कुल 24 लाख छात्र शामिल हुए हैं.

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Edited By: India Daily Live
Supreme Court
Courtesy: Social Media

सुप्रीम कोर्ट में NEET UP 2024 परीक्षा को लेकर एक अहम सुनवाई हो रही है. 5 मई को हुई इस परीक्षा में धांधली की खबरें सामने आई हैं. बिहार, झारखंड से लेकर गुजरात तक पेपर लीक के तार जुड़े हुए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेपी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस केस की सुनवाई कर रही है. इस केस से जुड़ी कुल 40 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. 

केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का कहना है कि परीक्षा में धांधली नहीं हुई है, ऐसे में परीक्षाएं रद्द न की जाएं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि धांधली अगर इतने व्यापक स्तर पर हुई है तो क्यों इस परीक्षा को रद्द नहीं किया जा रहा है

केंद्र सरकार ने IIT मद्रास की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि कोई ऐसी त्रुटि नहीं हुई है, जो यह इशारा करती हो कि बड़े स्तर पर धांधली हुई है. आइए जानते हैं कोर्ट में किसने क्या कहा है?

- जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जस्टिस पादरीवाला जानना चाहते हैं कि 1 लाख 8 हजार छात्रों में से कितने याचिकाकर्ता हमारे सामने आए हैं. जवाब में नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि यह  एनटीए ही बता सकता है. सीनियर एडवोकेट हेडगे ने कहा है कि जो लोग सरकारी सीट चाहते हैं वे भी 1 लाख 8 हजार अभ्यर्थियों में शामिल हैं. चीफ जस्टिस ने एनटीए के वकील से कहा कि याचिकार्ताओं में कितने छात्र शामिल हैं. याचिकाकर्ताओं को अधिकतम कितने अंक मिले हैं.

- सॉलिसिटर जनरल ने इसके जवाब में कहा कि 131 छात्र ऐसे हैं जो 1 लाख 8 हजार छात्रों में नहीं शामिल हैं. ये भी दोबारा परीक्षा चाहते हैं. 254 छात्र ऐसे हैं जो 1 लाख 8 हजार छात्रों के अंदर्गत आते हैं, जो दोबारा हो रही परीक्षाओं के खिलाफ हैं. चीफ जस्टिस ने पूछा कि 56,000 सीटों के लिए कट ऑ मार्क क्या है. 

- संजय हेगड़े ने इसके जवाब में कहा कि 50 पर्सेंटाइल योग्य हैं, 164 कट ऑफ मार्क है. आधे से ज्यादा याचिकाकर्ता सीट पाने योग्य हैं. एडिशन एक डायनेमिक प्रक्रिया है, कुछ लोग मेडिकल में नहीं आते, IIT चले जाते हैं. आंकड़े इससे नीचे भी सिमट सकते हैं.

- नरेद्र हुड्डा ने बेंच से कहा कि मैं हैंडिकैप उम्मीदवारों से शुरू करता हूं. मेरे पास नतीजे नहीं हैं. मेरे पास डेटा एनालिटिक्स नहीं है. IIT मद्रास का एक सदस्य सरकार की एनटीए का सदस्य है. वे ही आकंड़े दिखाते हैं. ये आंकड़े उन्हीं के हैं. 

- नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि यह 23 लाख छात्रों के लिए होना है. अगर 10,000 या 20,000 लोग इसमें हैं तो धांधली की पहचान नहीं हो सकती है. IIT मद्रास के आंकड़े 23 लाख छात्रों के लिए हैं, ये 1 लाख 8 हजार छात्रों के नहीं है, जिन्हें एडमिशन मिलना है. IIT मद्रास के आंकड़ों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. CJI ने कहा कि आपके अनुसार इसे 1 लाख पर ही होना चाहिए था. अपने बचाव में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है. IIT मद्रास के आंकड़े देने वाले बोर्ड में नहीं थे. 

- CJI ने कहा कि 1 लाख 8 हजार लोगों में से कितना यह चाहते हैं. नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि इसका जवाब नहीं मिला है.  चीफ जस्टिस ने कहा कि मिस्ट हुड्डा, इसी कोर्ट ने रि एग्जामिनेशन का फैसला दिया था. नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि वे दोबारा परीक्षा चाहते हैं. 

- नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि वे बहुत साफ नहीं हैं इस मामले में. पहले उन्होंने कहा कि बंटवारे में देरी हुई. जब वे पकड़े गए, तब उन्होंने कहा कि दोबारा परीक्षा हो रही है, ग्रेस मार्क पर न जाएं. एग्जाम पेपर में 15063 लोगों को ग्रेस मिले. 
 
- नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि सारे लोगों को SBI से पेपर मिला लेकिन हरदयाल स्कूल को पेपर केनरा बैंक से मिला. प्रधानाचार्य ने कहा है कि छात्र केनरा बैंक के पेपर सॉल्व करें. एक्स्ट्रा मार्क्स के लिए 6 लोगों को 720 में 720 नंबर मिले. एक ही केंद्र के दो लोगों को 718 नंबर मिले. 
 
- नरेंद्र हुड्डा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा कि मुझे यह कहने की इजाजत दीजिए. वे पीड़ित हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह अलग मुद्दा है. हुड्डा ने कहा कि एक बहादुरगढ़ का हरदयाल स्कूल की अलग कहानी है. वहां 6 लोग थे, वहां जो हुआ वजह जाहिर है. एनटीए ने कभी नहीं बताया कि पेपर, केनरा बैंक से लिए गए थे और बांटे गए थे. कोई डिले नहीं हुआ था. उन्होंने पेपर SBI से लिया था. 

- नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि 9 लोग ऐसे हैं, जो जयपुरके हैं. IIT ने उनकी रिपोर्ट ही नहीं सौंपी है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसका मकसद यह दिखाना है कि टॉपर्स हर जगह से हैं. कोई असमान्य रैंकिंग किसी सेंटर से सामने नहीं आई है.
 
- NTA के वकील नरेश कौशिक ने कहा है कि NTA के एफिडेविट में सभी टॉप 100 रैंक्स का जिक्र है. चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि क्या टॉप रैंकर गुंतुर से है. जवाब में नरेंश कौशिक ने हां कहा.