मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट पेपर लीक मामला पूरे देश में एक बड़ा मुद्दा बन गया है. जांच एजेंसियां इस मामले के तह तक जाकर पूरे सच्चाई का पता लगा रही है. इस परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका का पहला संकेत तब मिला जब यह पता चला कि 1,500 से अधिक छात्रों को ग्रेस अंक दिए गए थे. वहीं लोग में गुस्सा इस बात का है कि इन अभियार्थियों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिया गया और जब यह जवाब मुद्दा बन गया तो इस पर शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि परीक्षा के समय की हानि के लिए ग्रेस मार्क्स दे देना कभी भी सही नहीं है.
वहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि समय की कमी की भरपाई के लिए, प्रारूप में समय बढ़ाने की सिफारिश की गई है, लेकिन कभी भी ऐसे ग्रेस मार्क्स की अनुमति नहीं दी गई. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि एनटीए ने अपनी मर्जी से इन बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए. नीट यूजी में ग्रेस अंक वाले 1,500 से अधिक छात्रों की पुन परीक्षा , यूजीसी को रद्द करना और नीट-पीजी को परीक्षा से एक दिन पहले ही स्थगित करना, ये सभी बातें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली में खामियों की ओर इशारा करती है.
शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार 2025 में परीक्षाओं को कंडक्ट करने से पहले एनटीए में हर जरूरी सुधार पर काम करना चाहती है. वहीं केंद्र ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह के स्थान पर सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला को नियुक्त किया. खबर है कि यह इसलिए किया गया की एनटीए की विश्वसनीयता बनी रहे. सूत्रों से खबर है कि एनटीए उम्मीदवारों को आश्वस्त करने में पूरी तरह से विफल है. ग्रेस अंक देने का कोई प्रावधान ही नहीं है. यह पहली बार है जब उम्मीदवारों को ग्रेस अंक दिए गए.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, 1,563 छात्र जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. उन सभी की दोबारा परीक्षा कंडक्ट कराई गई. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने रविवार को चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के छह केंद्रों पर 1,563 उम्मीदवारों के लिए नीट-यूजी परीक्षा को दोबारा कंडक्ट कराया.
बता दें कि इस बार के नीट रिजल्ट में ग्रेस मार्क्स ने सारा खेल खराब कर दिया है. इस पेपर में 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जिससे उनका रिजल्ट शानदार रहा. इस बार कुल 67 बच्चों ने इस एग्जाम में पूरे नंबर प्राप्त किए हैं जिनमें से 50 बच्चे ग्रेस मार्क्स हासिल करने वाले थे. 50 में से 44 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने एक सवाल के अलग-अलग किताबों में अलग-अलग जवाब होने के चलते सही जवाब दिया था बाकि बच्चों को एग्जाम में वक्त बर्बाद होने की वजह से मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क्स दिए गए. हालांकि NEET का एग्जाम कंडक्ट कराने वाली संस्था NTA ने इस ग्रेस मार्क्स को देने का आधार, नियम, फॉर्मूला और रेंज का कोई जिक्र नहीं किया है. ग्रेस मार्क्स देने से 1563 बच्चे फायदे में रहे जिससे 67 बच्चों को फुल मार्क्स मिले. जिससे कट ऑफ पहले के मुकाबले काफी ज्यादा रहा और फिर सभी छात्रों ने इसका विरोध किया.
ग्रेस अंक वो नंबर है जो बच्चे को पास कराने की स्थिति में दी जाती है. या कुछ ऐसी परिस्थिति में जहां बच्चे को मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं. उदाहरण जैसे स्कूलों में छोटे बच्चों पासिंग मार्क्स में से 1 या दो नंबर कम लाता है तो उसे पास कराने के लिए 1-2 नंबरों की छूट दी जाती है ताकि बच्चे का एक साल खराब न हो और वो पास हो जाए.