महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट से सांसद नवनीत राणा खूब चर्चा में रहती हैं. 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने वाली नवनीत राणा 'हनुमान चालीसा विवाद' के चलते विवादों में भी रही हैं. इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन्हें लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, बीते कुछ सालों से नवनीत राणा के जाति प्रमाण को लेकर विवाद भी चल रहा था. अब अमरावती सीट पर नामांकन से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर फैसला आ गया है. इस फैसले में नवनीत राणा को राहत मिली है और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है.
साल 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने नवनीत राणा के अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दे दिया था. हाई कोर्ट ने नवनीत राणा पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था. इसी फैसले के चलते नवनीत राणा की सांसदी खतरे में भी आ गई थी. यही वजह थी कि नवनीत राणा ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई है.
दरअसल, अमरावती सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. नवनीत राणा ने अनुसूचित जाति की उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर ही जीता था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नवनीत राणा का जाति प्रमाण पक्ष फर्जी है. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए नवनीत राणा के जाति प्रमाण पत्र को सही माना है. वह मोची जाति से आती हैं.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज जे के माहेश्वरी और संजय करोल की बेंच ने सुनवाई की थी. बता दें कि बीते कुछ सालों में फायर ब्रैंड नेता के तौर पर उभरी नवनीत राणा को इस बार बीजेपी ने उसी सीट से टिकट भी दे दिया है.