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महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट को कही दी ऐसी बात, भड़के जज ने सुना दी जेल की सजा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महिला को अदालत की अवमानना के मामले में साधारण कारावास की सजा सुनाई है. महिला ने पूरी न्यायपालिका को 'डॉग माफिया' कहा था. ऐसे में  कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है. महिला का नाम विनीता श्रीनंदन बताया जा रहा है. 

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Edited By: Princy Sharma
Mumbai News
Courtesy: Pinterest

Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महिला को अदालत की अवमानना के मामले में साधारण कारावास की सजा सुनाई है. महिला ने पूरी न्यायपालिका को 'डॉग माफिया' कहा था. ऐसे में  कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है. महिला का नाम विनीता श्रीनंदन बताया जा रहा है. 

विनीता नवी मुंबई की सीवुड्स हाउसिंग सोसायटी की कल्चरल डायरेक्टर हैं.  महिला ने एक डॉक्यूमेंट तैयार कर सोसायटी में लोगों को बांटा जिसमें लिखा, 'अब हमें यकीन हो गया है कि देश में एक बड़ा डॉग माफिया है, जिसमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की लिस्ट भी शामिल है...'

महिला ने लगाए आरोप

इस दस्तावेज में अदालतों पक्षपाती होने इंसानी जान की अहमियत को नजरअंदाज करने और कुत्तों के हमलों का मजाक उड़ाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए. जब इस दस्तावेज को लीला वर्मा नाम की निवासी ने अदालत में जमा किया तो कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया और अवमानना की कार्यवाही शुरू की.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सोसायटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. Animal Birth Control (ABC) Rules, 2023 के तहत, सोसायटी को कुत्तों को खिलाने की जगह उपलब्ध करानी होती है, लेकिन इसके विरोध में विनीता और कुछ अन्य लोग थे.

कोर्ट ने क्या कहा?

जनवरी में कोर्ट ने आदेश दिया था कि लीला वर्मा को कुत्तों को खाना खिलाने से रोका नहीं जा सकता. इसके कुछ ही समय बाद विनीता ने कोर्ट पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए यह विवादित दस्तावेज फैलाया. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे न्याय में हस्तक्षेप और अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने की सोची-समझी कोशिश बताया. कोर्ट ने कहा कि एक पढ़ी-लिखी महिला से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती. विनीता ने भले ही बाद में बिना शर्त माफी मांगी, लेकिन कोर्ट ने उसे सिर्फ लीगल बचाव के लिए दिया गया माफीनामा बताया और खारिज कर दिया.

सजा क्या मिली?

कोर्ट ने विनीता श्रीनंदन को एक हफ्ते की साधारण जेल की सजा सुनाई. हालांकि, उनके वकीलों की अपील पर यह सजा 10 दिन के लिए टाल दी गई, ताकि वे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकें.