पीएम मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के लिए अजमेर शरीफ दरगाह पर भेजी चादर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजी है. यह उर्स, जो हर साल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, देश और दुनिया भर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजी है. यह उर्स, जो हर साल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, देश और दुनिया भर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस साल, यह उर्स 813वां था और पीएम मोदी का यह 11वां समर्पण है, जो उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री पद पर आने के बाद से लगातार किया है.
श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक चादर
अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजना पीएम मोदी की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है. ख्वाजा ग़रीब नवाज़ (मज़ार-ए-अख़दस) पर चादर चढ़ाने का यह कार्य भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. उर्स के दौरान चादर चढ़ाना एक प्रकार की पूजा मानी जाती है और इसे वचन पूर्ण होने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अहम माना जाता है.
ऐतिहासिक परंपरा
पिछले साल, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी ने पीएम मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाई थी. इस बार केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को इस पुण्य कार्य में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ. यह परंपरा हर साल निभाई जाती है और यह पीएम मोदी की ओर से लगातार समर्पण का संकेत देती है.
अजमेर शरीफ दरगाह: एक सूफी भक्ति स्थल
अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को समर्पित एक महत्वपूर्ण सूफी भक्ति स्थल है. यह दरगाह भारत के सबसे पवित्र और सम्मानित धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है. उर्स के दौरान इस दरगाह पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जो सूफी संत के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए यहां आते हैं. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के जीवन और उनकी शिक्षाओं का संदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है.
पीएम मोदी की सहभागिता
पीएम मोदी की चादर भेजने की परंपरा उनकी भारत की विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान को दर्शाती है. सूफी संत ख्वाजा ग़रीब नवाज़ जैसे महान संतों के द्वारा प्रदत्त समावेशी मूल्यों को पीएम मोदी मान्यता देते हैं और उनका आदर करते हैं. उनका यह कदम यह भी सिद्ध करता है कि भारत के प्रधानमंत्री सभी धर्मों और पंथों की न केवल इज्जत करते हैं, बल्कि उनके योगदान को भी सराहते हैं.