सीबीआई और मुंबई एटीएस पिछले 6 साल से नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले की जांच कर रही थी. नरेंद्र दाभोलकर की दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना, 15 अगस्त, 2018 की आधी रात हुई थी. अब मामले को महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) की टीम ने एक झटके में सुलझा लिया.
शुक्रवार को पुणे में यूएपीए मामलों की एक विशेष अदालत ने आंदुरे और कालस्कर को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया. दरअसल एटीएस की टीम नालासोपारा में हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी के मामले में चल रही जांच के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपी शरद कालस्कर से पूछताछ कर रही थी, जब उसने कथित तौर पर यह उगल दिया कि उसने और उसके सहयोगी सचिन अंदुरे ने दाभोलकर को गोली मार दी थी. पूछताछ करने वाले अधिकारी भी हैरान रह गए.
पूछताछ करने वाले अधिकारी रह गए हैरान
कलास्कर से पूछताछ करने वालों ने तुरंत एटीएस के तत्कालीन प्रमुख अतुल चंद्र कुलकर्णी को सतर्क कर दिया, जिन्होंने आकर कलास्कर और अंदुरे से अलग-अलग पूछताछ की. सूत्रों ने बताया कि दोनों ने पुष्टि की कि वे ही शूटर थे. एटीएस ने उन अधिकारियों के माध्यम से प्रारंभिक सत्यापन किया जो दाभोलकर मामले से परिचित थे, जबकि कुलकर्णी ने दाभोलकर जांच में केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुख अन्वेषक को बुलाया, जो उस समय एजेंसी के नवी मुंबई कार्यालय में थे. जून 2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने पुणे पुलिस से मामला अपने हाथ में ले लिया था, लेकिन अभी तक दाभोलकर के संदिग्ध शूटरों की पहचान नहीं की जा सकी थी.
लंबी पूछाताछ के बाद सीबीआई ने हिरासत में लिया
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सीबीआई अधिकारी ने यह सत्यापित करने के लिए कालास्कर और आंदुरे से लंबी पूछताछ की. जब अधिकारी ने खुलासे को सही पाया तो उसने एजेंसी के दिल्ली मुख्यालय में अपने वरिष्ठों को इसकी जानकारी दी. कुछ और जांच पड़ताल करके के बाद के बाद, सीबीआई ने कालस्कर और अंदुरे को अपनी हिरासत में लेने का फैसला किया. एजेंसी ने दाभोलकर का शूटर होने का आरोप लगाते हुए 18 अगस्त, 2018 को आंदुरे को गिरफ्तार कर लिया था.
अदालत ने ठहराया दोषी
शुक्रवार को पुणे में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम अधिनियम) मामलों की एक विशेष अदालत ने आंदुरे और कालस्कर को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई, और उन पर ₹ 5 लाख का जुर्माना लगाया. अदालत ने दाभोलकर हत्या मामले में मुख्य आरोपी डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े समेत तीन अन्य को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आंदुरे और कालस्कर के खिलाफ हत्या और साजिश के आरोप साबित कर दिए हैं. सीबीआई ने मुकदमे के दौरान आरोप लगाया कि तावड़े ने अंधविश्वास के खिलाफ काम करने के कारण दाभोलकर की हत्या की आपराधिक साजिश रची थी.