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24 साल पहले ही सामने आ गया था 'भोले बाबा' का ढोंग, लाश से किया था खिलवाड़ तो पुलिस ने कर लिया था गिरफ्तार

Narayan Sakar Vishwa Hari : इस वक्त सोशल मीडिया पर एक ही नाम चल रहा है. वह नाम 'भोले बाबा' का है. यह असली वाले भोले बाबा नहीं नकली भोले बाबा हैं. हाथरस में भगदड़ मचने के बाद से ही वह गायब हैं. वह खुद को भगवान बताते हैं. मरे हुए लोगों को जिंदा करने का दावा करते हैं. उनके दावा में कितनी सच्चाई है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि साल 2000 में बाबा ने एक मरी हुई लड़की को जिंदा करने के लिए परिवार वालों को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया था. लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया. इस मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.

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Edited By: India Daily Live
Narayan Sakar Vishwa Hari
Courtesy: Social Media

Narayan Sakar Vishwa Hari : हाथरस में हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब तलाशने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है. सत्संग सुनाने वाले बाबा नारायण साकार विश्व हरि उर्फ 'भोले बाबा' गायब है. वह कहां है? किसी को कुछ भी नहीं पता. आज उसके वकील ने उनके नाम से बयान जारी करके कहा कि कुछ सामाजिक तत्वों की वजह से यह हादसा हुआ है. मैं तो पहले निकल गया था. इस बाबा की फैन फॉलोइंग लाखों में है. दूर-दूर से लोग इसके ढोंगी चमत्कार देखने आते हैं. इसके ढोंग का किस्सा तो 20 साल पहले ही खुल गया था. इसके बावजूद यह जनता की आंखों में धूल झोंक कर उनके आस्था के साथ खिलवाड़ करता रहा. सन 2000 में बाबा, उसकी पत्नी और उसके कुछ समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. आइए जानते हैं कि आखिर ये गिरफ्तारी क्यों हुई थी.

यूपी पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी करने वाला सूरज पाल नौकरी छोड़कर धर्म का उपदेश देने लगता है. पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद सूरज पटेल बाबा बना. धीरे-धीरे करके वह लोगों के बीच पॉपुलर होने लगा था. और आज लाखों की संख्या में लोग उसे पूजते हैं. लेकिन साल 2000 में बाबा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. बाबा ने मरी हुई लड़की लाश को जिंदा करने का दावा करके परिवार वालों को अंतिम संस्कार नहीं करने दिया था.

आगरा में मरी लड़की को जिंदा करना चाह रहा था बाबा 

उस वक्त सूरज पाल आगरा के केदार नगर में रहता था. लड़की को पुनर्जीवित करने के मामले में शाहगंज थाने में सूरज पाल , उसकी पत्नी और चार अन्य (जिनमें से दो महिलाएं थीं) सहित छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (यदि उकसाया गया कार्य परिणामस्वरूप किया गया हो और उसके लिए सजा का कोई स्पष्ट प्रावधान न हो तो उकसाने की सजा) और औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

शाहगंज थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर रहे तेजवीर सिंह ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सूरज पाल 200 से अधिक लोगों के साथ श्मशान घाट पहुंचा था. वहां पर उसने एक 16 साल की लड़की के शव को अंतिम संस्कार करने से रोक लिया था. सूरज पाल ने लड़की के परिवार वालों से कहा कि वह उसे फिर से जिंदा कर सकता है.

पुलिस पर पत्थर बरसा रहे थे बाबा के समर्थक

तेजवीर सिंह ने बताया कि यह घटना 18 मार्च साल 2000 की है. लड़की के घरवालों ने ऐसा करने से मना कर दिया. कुछ लोगों ने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी. मौके पर पुलिस पहुंची तो बाबा यानी सूरज पाल के समर्थकों ने पुलिस पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया.

सूरज पाल समेत 6 लोग हुए थे गिरफ्तार 

तेजवीर सिंह ने आगे बताया कि मामला ज्यादा गंभीर होता देख मौके पर और अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया. पुलिस ने सूरज पाल को गिरफ्तार समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.