इंटरनेट के बढ़ते इस युग में इंटरनेट पर ठगी करने वालों का धंधा भी खूब फल-फूल रहा है. मिनटों में ये स्कैमर किसी भी इंसान को कंगाल करने का दम रखते हैं. NANO BAITER नाम के एक शख्स ने दिल्ली में बैठे ऐसे ही एक इंटरनेट स्कैमर का पता लगाने और उसे बेनकाब करने का दावा किया है.
एक के बाद एक ट्वीट कर NANO BAITER ने इस स्कैमर और यह किस तरह से स्कैम को अंजाम देता है, उस पूरी प्रक्रिया का खुलासा किया है. इस ठग का नाम है सुशील चौहान. नवंबर 2023 के बाद से सुशील अब तक हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुका है.
कैसे देता था ठगी को अंजाम
NANO BAITER ने बताया कि उसके लैपटॉप पर एक दिन एक माइक्रोसॉफ्ट स्कैम पॉपअप आया जिसने उनके माउस और कीबोर्ड को पूरी रह से ब्लॉक कर दिया और इससे बाद स्क्रीन पर वॉर्निंग की आवाज के साथ एक टोलफ्री नंबर दिखाई देने लगा.
1/ Meet Sushil Chouhan, An Indian national who owns a scam call center in New Delhi, India. He has been scamming thousands of innocent people since November 2023. pic.twitter.com/bk7Y5JzZps
— NanoBaiter (@NanoBaiter) January 23, 2025
NANO BAITER ने बताया कि अगर आपके साथ ऐसा होता है तो भूलकर भी ऐसे नंबर पर कॉल न करें. उन्होंने बताया कि जब उन्होंन उस टोल फ्री नंबर पर कॉल किया तो दूसरी तरफ से बहुत शोर आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि बहुत कुछ हो रहा है.
फोन उठाने वाले व्यक्ति ने मुझसे कहा कि वह माइक्रोसॉफ्ट का सर्टिफाइड टेक्नीशियन बोल रहा है. इसके बाद उसने मुझसे कहा कि मेरा कम कम्प्यूटर पर किसी ट्रोजन वायरस ने हमला किया और अब उसे मेरे कम्प्यूटर को किसी सुरक्षित सर्वर (रिमोट एक्सेस सॉप्टवेयर के जरिए) से जोड़ना होगा.
इसके बाद उसने मुझे तरह तरह के स्कैम की बातें बताकर और मेरे कम्प्यूटर का एक्सेस लेकर मेरी सारी सेवाएं बंद कर दी. स्कैमर मुझे ठगने की कोशिश कर रहे थे वे सोच रहे थे कि सब कुछ उनके मुताबिक हो रहा है लेकिन जब वे मुझे ठगने की कोशिश कर रहे थे, मैंने चुपचाप से उनके कम्प्यूटर का एक्सेस अपने हाथों में ले लिया.
इसके बाद मेरे लिए इन स्कैमरों के अन्य कम्प्यूटर तक पहुंच बनाना बेहद आसान हो गया. अन्य कम्प्यूटरों के एक्सेस के साथ ही मुझे इस पूरे गिरोह के सरगना सुशील के कम्प्यूटर का भी एक्सेस मिल गया.
सुशील के कंप्यूटर पर मुख्य रूप से स्ट्राइप और पेपाल लॉग इन थे लोगों को ठगने के लिए वह मुख्य रूप से स्ट्राइप का ही उपयोग करता था. इसके बाद मैंने स्ट्राइप उस उसके हर एक लेनदेने को खंगालना शुरू किया.
मुझे पता चला कि वे कई तरह के विज्ञापन चलाते हैं और खुद को एक प्रतिष्ठित इंटरनेट प्रदाता कंपनी बताकर लोगों तक पहुंच बनाते हैं और उन्हें ठगने का काम करते हैं.
NANO BAITER ने बताया कि सुशील के कंप्यूटर से उन्हें कई लोगों के आईडी कार्ड, सैलरी सिल्प, कंपनी के रजिस्ट्रेशन और बैंकों की स्टेटमेंट मिलीं. NANO BAITER ने सुशील और उसके ऑफिस की सुशील के क्लाउड सर्वर से कुछ तस्वीरें भी डाउनलोड कर लीं. NANO BAITER ने बताया कि जब स्कैमरों को शक हुआ कि उन पर नजर रखी जा रही है तो वे सहम गए.