नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा के मामले में साइबर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. माइनॉरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के स्थानीय नेता, 38 वर्षीय फहीम शमीम खान सहित छह लोगों के खिलाफ देशद्रोह और सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. यह जानकारी पुलिस अधिकारियों ने गुरुवार को पीटीआई को दी.
हिंसा से जुड़े चार मुकदमे दर्ज
पुलिस के मुताबिक, ये छह लोग उन 50 आरोपियों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा के संबंध में साइबर पुलिस ने चार प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की हैं. यह हिंसा शहर के कई हिस्सों में फैल गई थी, जिसके पीछे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और भड़काऊ सामग्री को जिम्मेदार माना जा रहा है.
सोशल मीडिया प्रोफाइल पर नजर
साइबर क्राइम विभाग के डीसीपी लोहित मतानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "हमने फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से 230 प्रोफाइल्स के बारे में जानकारी मांगी है और इन्हें ब्लॉक करने का अनुरोध किया है." उन्होंने कहा कि जैसे ही इन प्रोफाइल्स की जानकारी मिलेगी, आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की जाएगी.
हिंसा को भड़काने का आरोप
पुलिस जांच में सामने आया है कि सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो शेयर किए गए, जिनसे शुरू में गलत सूचनाएं फैलीं. इसके बाद हिंसा को और बढ़ावा देने के लिए कुछ वीडियो में हिंसा का "महिमामंडन" किया गया. डीसीपी मतानी के अनुसार, इन वीडियो ने लोगों को उकसाने का काम किया, जिसके चलते हालात बेकाबू हो गए.
फहीम खान की भूमिका
फहीम खान को सोमवार को नागपुर के एक पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन का नेतृत्व करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस का कहना है कि उनकी अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन ने हिंसा को हवा दी. प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि खान ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाई.
हिंसा की पृष्ठभूमि
नागपुर में सोमवार को शुरू हुई यह हिंसा उस समय भड़की, जब कुछ समूहों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. इस दौरान अफवाहें फैलीं कि एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई, जिसके बाद हालात बिगड़ गए. पुलिस ने इसे नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगाया और कई लोगों को हिरासत में लिया.
आगे की कार्रवाई
साइबर पुलिस अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से सहयोग लेकर उन सभी लोगों की पहचान करने में जुटी है, जिन्होंने हिंसा को बढ़ाने में भूमिका निभाई. डीसीपी मतानी ने स्पष्ट किया कि यह एक सुनियोजित तरीके से फैलाई गई अफवाह थी, जिसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.