मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को राज्य के चंदेल और तेंगनौपाल जिलों में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. यह रैली नगा लोगों के अधिकारों की रक्षा और म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के खिलाफ थी. प्रदर्शनकारियों ने बाड़ लगाने के निर्णय का विरोध किया और इसे नगा समुदाय के लिए नुकसानकारी बताया.
चंदेल नगा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (CNPO) द्वारा आयोजित इस रैली में प्रदर्शनकारियों ने म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. उनका कहना था कि बाड़ लगाने से सीमा के दोनों ओर बसे नगा समुदाय के लोग बंट जाएंगे, जिससे उनकी एकता प्रभावित होगी. प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह कदम उनके सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों में खलल डालेगा.
रैली में यह भी दावा किया गया कि म्यांमा के साथ स्थापित मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करना नगा लोगों के अधिकारों के खिलाफ है. यह व्यवस्था नगा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसके तहत दोनों देशों के नगा लोग बिना किसी बाधा के सीमा पार कर सकते थे और एक-दूसरे से मिल सकते थे.
इस प्रदर्शन के दौरान नगा समुदाय ने दशकों पुरानी नगा राजनीतिक समस्या के समाधान के लिए बातचीत में तेजी लाने की अपील की. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि नगा मुद्दे का समाधान बातचीत के माध्यम से ही संभव है और इसे स्थायी समाधान की दिशा में तेज किया जाना चाहिए.
रैली के बाद, चंदेल नगा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन और उसके सहयोगी संगठनों ने चंदेल जिले के उपायुक्त को एक मेमोरेंडम सौंपा. मेमोरेंडम में नगा लोगों की एकता और उनके अधिकारों की रक्षा करने की मांग की गई. यह ज्ञापन इस बात की ओर इशारा करता है कि नगा समुदाय अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है और किसी भी हालत में अपनी पहचान और एकता को नुकसान नहीं होने देना चाहता.
यह प्रदर्शन मणिपुर के नगा समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां उन्होंने अपने अधिकारों और एकता की रक्षा करने के लिए मजबूत कदम उठाए. म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और FMR को समाप्त करने के खिलाफ उनकी आवाज उठाने से यह साफ हो गया है कि नगा समुदाय अपने सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्तों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. इस रैली ने नगा समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार से जल्द समाधान की उम्मीद को जन्म दिया है.