40 करोड़ रुपये की फिरौती; फायर ब्रिगेड के सस्पेंड कर्मियों ने बिल्डर के बेटे को किया किडैनप, पुलिस ने आरोपियों को दबोचा

Mumbai Builder Son Kidnapped: मुंबई के दो सस्पेंडेंट फायर फाइटर्स ने एक बिल्डर के बेटे का अपहरण कर लिया. हालांकि, दोनों आरोपियों को अन्य के साथ गिरफ्तार कर लिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों आरोपी फायर फाइटर्स ने आठ अन्य लोगों के साथ मिलकर एक बिल्डर के बेटे का अपहरण कर 40 करोड़ की फिरौती मांगी, लेकिन नेगोशिएशन के दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.

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Mumbai Builder Son Kidnapped: बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के दो फायरफाइटर्स को फायर डिपार्टमेंट में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था. दोनों के सामने आर्थिक चुनौतियां खड़ी हो गईं थीं, जिससे निपटने के लिए दोनों ने एक और भयानक कदम उठा लिया. मंगलवार को दोनों सस्पेंडेड फायर फाइटर्स ने 8 अन्य लोगों के साथ मिलकर अंबरनाथ के एक बिल्डर के बेटे का अपहरण कर लिया और 40 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी. उन्होंने सोचा कि फिरौती की रकम का कुछ हिस्सा उन्हें उन लोगों को चुकाने में मदद करेगा, जिन्हें उन्होंने नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा था, जो फिर अपनी शिकायतें वापस ले लेंगे और उन्हें उनकी नौकरी वापस मिल जाएगी. हालांकि, दोनों आरोपी  देवीदास दत्तात्रेय वाघमारे और दत्ताराय नामदेव पवार पुलिस के हत्थे चढ़ गए.

मंगलवार को दोपहर के करीब इन लोगों ने अंबरनाथ के बिल्डर संजय शेलके के 20 साल के बेटे की कार का पीछा किया और जब कार अंबरनाथ के कटाई रोड पर पहुंची तो उन्होंने जबरन उसकी कार रोकी और उसका अपहरण कर लिया. इसके बाद अपहरणकर्ताओं में से एक ने उसके सिर पर बंदूक तान दी और उसे उसके पिता को वीडियो कॉल करने के लिए कहा. कॉल पर अपहरणकर्ताओं ने बिल्डर से कहा कि अगर उसने उन्हें 40 करोड़ रुपये नहीं दिए तो वे उसके बेटे को मार देंगे. इसके बाद 10 अपहरणकर्ताओं में से पांच युवक को एक अन्य वाहन में पडघा के जंगली इलाके में ले गए, जबकि दो दमकलकर्मी बिल्डर से बातचीत करने के लिए अंबरनाथ में ही रुक गए. गिरोह के बाकी तीन लोगों को पुलिस की किसी भी गतिविधि पर नजर रखने के लिए कहा गया था. उन्हें पता नहीं था कि शेलके ने फिरौती का कॉल आते ही पुलिस को फोन कर दिया था.

100 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई और दबोच लिया

एडिशनल पुलिस कमिश्नर संजय जाधव और जोन 4 के पुलिस डिप्टी कमिश्नर सुधाकर पठारे ने अपहरणकर्ताओं का पता लगाने और शेलके के बेटे को बचाने के लिए 100 पुलिसकर्मियों की एक टीम बनाई. डीसीपी पठारे ने कहा कि मामला दर्ज होते ही 15 पुलिस अधिकारियों और 80 पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में 8 जांच टीमों में तैनात किया गया. टीमों ने अपराध स्थल और अंबरनाथ के अन्य हिस्सों के आसपास के 45 सीसीटीवी कैमरों से फुटेज की जांच शुरू की. अपहरणकर्ताओं की ओर स े इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों पर तकनीकी विश्लेषण किया गया, जिसमें पता चला कि अर्टिगा कार पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी.

अधिकारी ने बताया कि अपहरणकर्ता पीड़ित के पिता को लगातार फोन करते रहे, पहले 40 करोड़ रुपये की मांग की जिसे उन्होंने 7 करोड़ रुपये पर ला दिया, फिर आखिरकार 2 करोड़ रुपये स्वीकार करने पर सहमत हुए. उन्होंने शेल्के को ओला कार बुक करने, उसमें पैसे रखने और कार का नंबर उन्हें भेजने का निर्देश दिया. अपहृत बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, पुलिस और पीड़ित के परिवार ने अपहरणकर्ताओं के निर्देशानुसार 2 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने पर सहमति जताई.

जब अपहरणकर्ताओं ने कैब के आसपास पुलिस को देखा तो उन्होंने गंतव्य स्थान बदलना शुरू कर दिया. उन्हें पता नहीं था कि पुलिस ने नकदी ले जाने वाली ओला को ट्रैक करने के लिए कई निजी वाहन भी तैनात किए थे. भारी बारिश और बार-बार स्थान बदलने की चुनौतियों के बावजूद पुलिस ने पीछा करना जारी रखा. आखिरकार, पुलिस की मौजूदगी को भांपकर, अपहरणकर्ताओं ने पीड़ित के पिता को बताया कि उनका बेटा अगले आधे घंटे में घर लौट आएगा और फोन काट दिया.

सभी आरोपियों को पुलिस ने दबोचा

जांच दल के एक अधिकारी ने बताया कि जब अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की रकम लेने से इनकार कर दिया और भाग गए, तो स्थिति की गंभीरता बढ़ गई. पुलिस ने इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों का तकनीकी विश्लेषण किया, पिसे डैम, वसेरेगांव, पडघा और भिवंडी के पास उनके स्थानों को ट्रैक किया. जब पुलिस पडघा में बांध पर पहुंची तो उन्हें वह पीड़ित मिला जिसे अपहरणकर्ताओं ने छोड़ दिया था.

इसके बाद, एक अन्य टीम ने संदिग्धों के फोन का तकनीकी विश्लेषण किया, जिससे उन्हें एक आरोपी निखिल राजूसिंग लाबान तक पहुंचने में मदद मिली, जिसने दूसरे साथी विनय राज आडवाणी को सिम कार्ड मुहैया कराया था. इन दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने बाकी लोगों का संपर्क प्राप्त किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पीड़ित को स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल की गई एक KIA कार (MH02 FR 7047) बरामद की गई है, साथ ही तीन राउंड के साथ एक देशी पिस्तौल, एक एयर पिस्टल, एक चाकू, एक लाल नायलॉन की रस्सी, काले मास्क और पांच मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं.

पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी वाघमारे और पवार ने पहले भी अलग-अलग जिलों के नौकरी चाहने वालों से फायर डिपार्टमेंट में नौकरी दिलाने के नाम पर 2.75 करोड़ रुपये वसूले थे और उनके खिलाफ अग्रीपाड़ा थाने में पहले से ही मामला दर्ज हैं. दोनों निलंबित हैं और जमानत पर बाहर हैं. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने नौकरी के इच्छुक लोगों से ठगे गए पैसे वापस करने के लिए अपहरण की योजना बनाई थी और बदले में वे उम्मीदवारों से उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के लिए कहेंगे ताकि उन्हें उनकी नौकरी वापस मिल सके.

आरोपी बिल्डर शेल्के को 10 साल से जानते थे और उन्होंने उसके बेटे का अपहरण करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि वह आसान टारगेट होगा. अपहरण करने से पहले उन्होंने बिल्डर के 20 वर्षीय बेटे की हरकतों पर 15 दिनों तक नज़र रखी थी.