मुलायम सिंह यादव ने बंद कराई थी व्यास तहखाने में पूजा, जानें इससे जुड़ा हुआ अयोध्या कनेक्शन?

वाराणसी जिला न्यायालय ने बुधवार को हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की इजाजत दे दी है. जिसके बाद बुधवार रात को ही आरती और पूजा का आयोजन किया गया. व्यास परिवार द्वारा तहखाने में की जाने वाली पूजा को दिसंबर 1993 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बंद कर दिया था.

Avinash Kumar Singh

नई दिल्ली: वाराणसी जिला न्यायालय ने बुधवार को हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की इजाजत दे दी है. जिसके बाद बुधवार रात को ही आरती और पूजा का आयोजन किया गया. वाराणसी अदालत का यह फैसला अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक सप्ताह के भीतर आया है. वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद 2019 के ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या राम जन्मभूमि की तरह एक विवादित स्थल पर है. इन दोनों जगहों की जब चर्चा होती है तब पूर्व CM और सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की चर्चा जरूर होती है. 

मुलायम सिंह यादव ने तहखाने में पूजा को कराया था बंद 

1993 के पहले वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने जिसे 'व्यासजी का तहखाना' कहा जाता है, वहां नियमित रूप से आरती और पूजा की जाती थी. परिसर में चार तहखाने हैं और उनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के पास है. इस तहखाने का नाम व्यास परिवार के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 200 साल से अधिक समय तक तहखाने में पूजा की थी. जिसे मुलायम सिंह यादव ने ही दिसंबर 1993 में पूजा बंद करवा दी थी. व्यास परिवार द्वारा तहखाने में की जाने वाली पूजा को दिसंबर 1993 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बंद कर दिया था. उन्होंने फैसले को सही ठहराने के लिए कानून-व्यवस्था को खतरे का हवाला दिया. 

शैलेन्द्र व्यास ने किया था बड़ा दावा 

एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार शैलेन्द्र व्यास ने एक अदालती याचिका में कहा कि "दिसंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव सरकार ने बिना किसी न्यायिक आदेश के स्टील की बाड़ लगा दी, जिससे पूजा रुक गई." मस्जिद कमेटी का कहना है कि नंदी की मूर्ति और मस्जिद के वजुखाना के बीच स्थित तहखाने में कोई पूजा नहीं हुई थी. वहीं हिंदुओं का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी. 

पुलिस की गोली के शिकार हुए थे कारसेवक 

मुलायम सिंह यादव अक्टूबर 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के लिए एक विशाल कारसेवा का आयोजन किया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवा को विफल करने के लिए 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में लगभग 28,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था. तब मुलायम सिंह यादव ने  कहा था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता. कारसेवकों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ते हुए विवादित बाबरी मस्जिद स्थल तक पहुंच गए और ध्वस्त हो चुकी मस्जिद पर भगवा झंडा फहरा दिया. इस दौरान तत्कालीन CM मुलायम सिंह के आदेश पर पुलिस की हुई गोलीबारी में बड़ी संख्या में कारसेवकों मारे गए. 

मुलायम सिंह यादव ने तहखाना में पूजा को कराया था बंद 

उत्तर प्रदेश में कुछ महीने बाद 1991 में चुनाव हुए और BJP के कल्याण सिंह सत्ता में आये. एक साल से अधिक समय बाद, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया, जिसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में BJP की कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया. राज्य एक साल तक राष्ट्रपति शासन के अधीन रहा और अगले चुनाव में मुलायम सिंह सत्ता में लौट आये. 1993 में पुलिस को अयोध्या राम मंदिर कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने के कुछ ही साल बाद मुलायम सिंह ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में व्यासजी का तहखाना में पूजा बंद करवा दी. इस तरह से मुलायम सिंह यादव का वाराणसी के ज्ञानवापी और अयोध्या में राम जन्मभूमि दोनों जगहों से पुराना नाता रहा.