देश में मंकीपॉक्स (Mpox) का एक संदिग्ध केस सामने आया है, जिसके बाद से ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के आदेश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायरल इन्फेक्शन को लेकर चिंता जताई है और राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है. स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्देश है कि संदिग्धों की ट्रेसिंग हों, स्क्रीनिंग हो और स्थिति पर नजर रखी जाए. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में अभी तक एक भी Mpox पॉजिटिव केस सामने नहीं आए हैं. डिजीज सर्विलांस नेटवर्क संक्रमण पर नजर रख रहा है.
आयशा हेल्थ केयर सेंटर में वायरोलॉजी के निदेशक डॉक्टर शाहिद अख्तर के मुताबिक मंकीपॉक्स से अफ्रीका बुरी तरह से जूझ रहा है. वहां हजारों लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और 500 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. संक्रमण के 1बी स्ट्रेन की मृत्यु दर 3.6 प्रतिशत है. बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. भारत में यह स्मॉल पॉक्स से मिलती-जुलती बीमारी है. अंतर बस इतना है कि अफ्रीका में यह महामारी बन रही है, भारत में इसका अभी तक पुष्ट एक भी केस सामने नहीं आया है. इस बीमारी में भी शरीर में स्मॉल पॉक्स की तरह ही दाने पड़ते हैं.
Mpox एक वायरल इन्फेक्शन है, जो इंसानों में फैलता है. शुरुआत में इस बीमारी की वजह से नाक बहली है, बुखार आता है, तेज सिरदर्द और बदन दर्द होता है फिर धकान बढ़ने लगती है. शरीर पर 2 से 4 सप्ताह तक इसका असर रहता है. इसकी वजह से शरीर में छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं. यह बीमारी एक शख्स से दूसरे शख्स में भी फैलती है.
मंकीपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के जरिए फैलता है. यह शारीरिक संबंध बनाने से, हाथ मिलाने से, भीड़ की वजह से फैल सकता है. जिन चीजों से संक्रमण फैल सकता है, उनके इस्तेमाल से बचना चाहिए. जिन लोगों के शरीर में दाने दिखें, लाल निशान देंगे, फफोले दिखें, उन लोगों से थोड़ी दूरी बरतें. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और अपनी व्यक्तिगत चीजें किसी से शेयर न करें.
मंकीपॉक्स के अब तक कई वेरिएंट सामने आ चुके हैं. वेरिएंट 1, 2, 2बी जैसे कई वेरिएंट की वजह से लोगों की जानें गई हैं. इस संक्रमण की वजह से साल 1980 में 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई थी. कमजोर इम्युनिटी के लोग इसे नहीं झेल पाते हैं. बच्चों की मौतें सबसे ज्यादा होती हैं.
यह बीमारी कम संक्रामक है. अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड से उलट, यह वायरस उतनी तेजी से नहीं फैलता, जैसे कोविड फैलता है. किसी फ्लाइट में किसी के साथ यात्रा करने से मंकीपॉक्स फैल जाए, इस पर डॉक्टर भी एकमत नहीं हैं.
जानवर या पशु के साथ शारीरिक संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है. कुछ जानवरों में भी यह फैलता है. मंकीपॉक्स इन्फेक्शन के लिए अभी तक कोई विशेष दवाई नहीं बनी है. ज्यादातर मामलों में लोग अपनी रोग प्रतिरोधिक क्षमता की वजह से ही ठीक हो जाते हैं. कुछ दर्द निवारक दवाइयां दी जाती हैं. अगर आप मंकीपॉक्स से संक्रमित हुए हैं तो खुद को आइसोलेट रखें. अगर टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो डॉक्टर से मिलें.
मंकीपॉक्स के लिए कई वैक्सीन WHO ने अप्रूव किया है. इसमें स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लगाई जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन, MVA-BN या LC16 वैक्सीन की मंजूरी देता है. ACAM2000 वैक्सीन भी लगवाई जा सकती है. इसकी जानकारी आपका नजदीकी, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र ही दे सकता है. वैक्सीन की दो डोज, आपके शरीर को प्रतिरक्षा दे सकती है. पहली डोज और दूसरी डोज के बीच अंतराल 4 सप्ताह का होना चाहिए.
अगस्त में ही UNICEF ने मंकीपॉक्स की वैक्सीन को लेकर एस नोटिफिकेशन जारी किया था. कंपनियों को वैक्सीन बनाने के लिए कहा गया था. 2025 तक इस बीमारी की सटीक वैक्सीन बनाई जा सकती है.