लूट, चोरी और पुलिस से बचने की ट्रेनिंग, ऐसे गांव जहां सब के सब क्रिमिनल!
मध्य प्रदेश के गांव कड़िया, गुलखेड़ी और हुल्खेड़ी अपराधियों के 'नर्सरी' बनते जा रहे हैं, जहां गिरोह बच्चों को लूटपाट, पिकपॉकेटिंग, बैग छीनने, पुलिस से बचने और पकड़े जाने पर मारपीट सहने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. बच्चे से लेकर जवान तक हर कोई गलत धंधे में शामिल है.
मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले में कुछ गांव क्राइम के लिए बदनाम हैं. इन गांवों में बड़े-बड़े घर हैं आलीशन बंगलों और बड़े कॉप्लेक्स हैं. पूरे जिले में तीन गांव अपराधियों के लिए कुख्यात हैं. कहा जाता है कि ये गांव क्रिमिनल का अड्डा है. यहां हर कोई क्रिमिनल है. पैसे चोरी, लूट और डकैती के धंधे से पैसे कमाए गए हैं. बच्चे से लेकर जवान तक हर कोई गलत धंधे में शामिल है. इनका मुख्य काम चोरी और लूट का है.
रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के गांव कड़िया, गुलखेड़ी और हुल्खेड़ी अपराधियों के 'नर्सरी' बनते जा रहे हैं, जहां गिरोह बच्चों को लूटपाट, पिकपॉकेटिंग, बैग छीनने, पुलिस से बचने और पकड़े जाने पर मारपीट सहने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. परिवार अपने बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए गिरोह के नेताओं को 2-3 लाख फीस दे रहे हैं. बच्चों के गिरोह में एक साल पूरा करने के बाद, माता-पिता को कथित तौर पर 3 से 5 लाख का वार्षिक भुगतान मिलता है.
शादी से उड़ाए 1.45 करोड़ के सामान
हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक पांच सितारा होटल में शादी के दौरान 14 साल के लड़के द्वारा 1.45 करोड़ रुपये मूल्य के कीमती सामान की चोरी की घटना ने कड़िया सांसी, गुलखेड़ी और हुल्खेड़ी गांवों को चर्चा में ला दिया. स्थानीय पुलिस का अनुमान है कि इन गांवों के लड़कों, पुरुषों, लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ देश भर में 1,000-1,200 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. लगभग 5,000 की आबादी वाला कड़िया सांसी अवैध गतिविधियों का केंद्र है, लेकिन, एजेंसियों के लिए यहां गिरफ़्तारी करना आसान नहीं है. 10 अगस्त को बोडा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत गुलखेड़ी में तमिलनाडु के कोयंबटूर से स्थानीय पुलिस की सुरक्षा में आई पुलिस टीम पर हमला किया गया.
भारत में 1,000-1,200 मामले दर्ज
स्थानीय मामले कम हैं, लेकिन इन गांवों के लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. हमें उनके बारे में तभी पता चलता है जब बाहरी पुलिस हमसे संपर्क करती है. बोडा पुलिस स्टेशन के प्रभारी रामकुमार भगत ने पीटीआई को बताया कि इन लोगों के खिलाफ पूरे भारत में 1,000-1,200 मामले दर्ज हैं. भगत ने कहा कि जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर इन तीन गांवों के निवासी आसानी से पैसा कमाने के लालच में कानून तोड़ते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग अपराध की दुनिया से जुड़े हुए हैं, इसलिए इन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है. यहां की महिलाएं क्राइम में पुरुषों से आगे हैं.
सरपंच ने दावों को बताया गलत
कड़िया सांसी गांव के सरपंच मोहन सिंह ने सभी दावों को गलत बताया है. उनका कहना है कि यहां के लड़के बड़े शहरों में काम करते हैं. जयपुर में नाबालिग से हुई चोरी और 1.45 करोड़ रुपये के कीमती सामान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि लड़के ने शायद नहीं सोचा होगा कि उसने जो बैग उठाया है, उसमें क्या है. सिंह ने कहा कि उसने सोचा होगा कि उसे जेब खर्च के लिए 10,000-20,000 रुपये मिल जाएंगे. गांव में सभी के पास जमीन-जायदाद है. हम आतंकवादी नहीं हैं. सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे शिक्षित हों. यह तकनीक का युग है. जो लोग पहले इस तरह के अपराधों में शामिल थे, वे अब खत्म हो चुके हैं.