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बैन के बाद उज्जैन के काल भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप चढ़ाने के लिए कैसे मिलेगी शराब? जानें जवाब

उज्जैन के काल भैरव मंदिर में शराब अर्पित करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा 17 धार्मिक शहरों में शराब पर प्रतिबंध लगाने के बाद क्या प्रसाद के रूप मे मंदिर में चढ़ाने के लिए यहां शराब मिलेगी या नहीं? आइए जानते हैं.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
liquor will continue to available as prasad in Ujjain Kal Bhairav ​​temple
Courtesy: Social Media

मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों पर शराब पर प्रतिबंध लगाने से एक दिलचस्प सवाल खड़ा हो गया है कि उज्जैन के प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में, जहां शराब एक मुख्य "प्रसाद" के रूप में चढ़ाई जाती है, वहां के भक्तों को शराब कैसे मिलेगी? यह सवाल इस समय चर्चा में है क्योंकि राज्य सरकार ने 17 धार्मिक शहरों पर शराब पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है.

उज्जैन स्थित काल भैरव मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां शराब को भगवान को चढ़ाने की परंपरा है. मंदिर के बाहर की दुकानों पर अक्सर एक टोकरी में शराब की बोतल और नारियल रखा जाता है, जो भक्त भगवान काल भैरव को अर्पित करते हैं. राज्य सरकार द्वारा शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि मंदिर के बाहर शराब की बिक्री जारी रहेगी.

नहीं बंद होगी उज्जैन के काल भैरव मंदिर के लिए शराब

काल भैरव मंदिर में शराब अर्पित करने की परंपरा बहुत पुरानी है. मंदिर के पुजारी, ओम प्रकाश चतुर्वेदी के अनुसार, इस परंपरा को आज तक कभी भी नहीं तोड़ा गया. उनका कहना है कि, "2016 के सिंहस्थ मेले के दौरान भी शराब भगवान को चढ़ाई गई थी, जब राज्य सरकार ने शराब पर प्रतिबंध लगाया था." इसके अलावा, राज्य सरकार के आबकारी विभाग द्वारा मंदिर के पास शराब बेचने के लिए काउंटर लगाए गए हैं, ताकि भक्तों को धोखा न हो.

राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी राय दी है. एक रिपोर्टर के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "आप प्रसाद लेकर मंदिर जा सकते हैं." उन्होंने यह भी कहा, "अगर हम शराब की दुकानें बंद कर देंगे, तो लोग कहां से शराब खरीदेंगे?" उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार शराब को पूरी तरह से बंद करने की योजना में है, लेकिन काल भैरव मंदिर की परंपरा को बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा.

मंदिर के बाहर दो शराब के काउंटर अब भी आबकारी विभाग के अधीन चल रहे हैं. इन काउंटरों का उद्देश्य भक्तों को शराब की बोतल आसानी से उपलब्ध कराना है, ताकि वे शराब को प्रसाद के रूप में भगवान को अर्पित कर सकें. हालांकि, इन काउंटरों के पास कोई लाइसेंसी दुकानें नहीं हैं.

1 अप्रैल से बंद होंगी शराब की दुकानें

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शराब की दुकानों को 1 अप्रैल से उज्जैन में बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा, प्रदेश के 19 अन्य धार्मिक शहरों में भी शराब की दुकानों को बंद करने की योजना है. यह कदम शराब की खपत को कम करने के लिए उठाया जा रहा है, लेकिन काल भैरव मंदिर जैसी जगहों पर शराब अर्पित करने की परंपरा को सरकार किसी तरह प्रभावित नहीं करना चाहती.