जेरोधा कंपनी के को-फाउंडर नितिन कामथ ने एक व्यापक हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत पर जोर देते हुए चेतावनी दी कि अधिकांश भारत कंगाल होने से केवल एक बार अस्पताल में भर्ती होने की दूरी पर हैं. कामथ ने ट्वीट कर कहा कि भारतीयों को बीमा कंपनी का चुनाव बहुत ही सावधानी पू्र्वक करना चाहिए और हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कंपनी के पिछले 5 से 10 साल का रिकॉर्ड देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसी बीमा कंपनी चुनें जिसकी क्लेम सैटलमेंट की रेंज 80-90% के बीच हो ताकि स्वास्थ्य संकट के समय आपको पैसे की तंगी से ना जूझना पड़े.
दिवालिया होने से केवल एक बार अस्पताल में भर्ती होने की दूरी पर हैं भारतीय
नितिन कामथ ने लिखा कि ज्यातर भारतीय केवल दिवालिया होने से केवल एक बार अस्पताल में भर्ती होने की दूरी पर हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी के पास एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान होना जरूरी है.
कामथ को आया था हार्ट अटैक
बता दें कि इसी साल फरवरी में नितिन कामथ को हार्ट अटैक आया था. इसके पीछे उन्होंने खराब नींद, अधिक काम और थकावट से लेकर अपने पिता के निधन को इसका संभावित कारण बताया था.
हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कौनसी कंपनी चुनें
कामथ ने सुझाव दिया कि ऐसी कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस लें जिसका 5000-8000 अस्पतालों का नेटवर्क हो और जिसका क्लेम रेश्यो 55-75% हो.
Most Indians are just 1 hospitalisation away from bankruptcy. A good health insurance plan is mandatory. pic.twitter.com/9GzKpT6EE9
— Nithin Kamath (@Nithin0dha) August 30, 2024
हेल्थ इंश्योरेंस लेना क्यों है जरूरी
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में मेडिकल की सुविधाएं पूरे एशिया में सबसे ज्यादा महंगी हैं. इंश्योरटेक कंपनी प्लम की 'कॉर्पोरेट इंडिया की स्वास्थ्य रिपोर्ट 2023' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चिकित्सा मुद्रास्फीति दर एशिया में सबसे अधिक है, जो 14% तक पहुंच गई है, जिसका अर्थ है कि चिकित्सा लागत में इतनी वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के 71% कर्मचारी अपने स्वास्थ्य देखभाल का खर्च खुद उठाते हैं केवल 15% कर्मचारियों को ही कंपनी की तरफ से बीमा का लाभ मिलता है.
इंश्योरेंस क्लेम का अप्रूवल एक बड़ी समस्या
इसके अलावा इंश्योरेंस क्लेम का अप्रूवल मिलना भी भारत में एक बड़ी समस्या है. लोकल सर्कल्स के एक सर्वे के अनुसार, संकट के समय 43% लोगों का इंश्योरेंस क्लेम अप्रूव ही नहीं होता. बीमा कंपनियां कोई ना कोई खामी निकालकर उनका क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं.