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Naga Sanyasi: महाकुंभ में नागा संन्यासियों की फौज में 5 हजार से अधिक होंगे शामिल, संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार

महाकुंभ 2025 में इस बार भी भगवान शिव के दिगंबर भक्त नागा संन्यासियों की अद्भुत परंपरा को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. खासतौर पर जूना अखाड़ा, जो नागा संन्यासियों की सबसे बड़ी धारा का केंद्र है

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Edited By: Babli Rautela
Naga Sanyasi
Courtesy: Social Media

Naga Sanyasi: महाकुंभ 2025 में इस बार भी भगवान शिव के दिगंबर भक्त नागा संन्यासियों की अद्भुत परंपरा को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. खासतौर पर जूना अखाड़ा, जो नागा संन्यासियों की सबसे बड़ी धारा का केंद्र है, श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बना हुआ है. गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह प्रक्रिया केवल महाकुंभ में होती है, जहां साधक ब्रह्मचारी से नागा संन्यासी बनने की यात्रा तय करते हैं.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री, श्री महंत चैतन्य पुरी, ने बताया कि शनिवार से नागा दीक्षा का पहला चरण आरंभ हुआ, जिसमें 1500 से अधिक अवधूतों को नागा संन्यासियों के रूप में दीक्षा दी गई. इस अखाड़े में अब तक 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी शामिल हो चुके हैं.

नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया

ब्रह्मचर्य की परीक्षा:
साधक को तीन साल तक ब्रह्मचारी के रूप में अखाड़े के नियमों का पालन करते हुए गुरु की सेवा करनी होती है. इस दौरान उसकी निष्ठा और आचरण का परीक्षण किया जाता है.

दीक्षा संस्कार:

गंगा किनारे मुंडन कर, साधक को 108 बार पवित्र गंगा में डुबकी लगवाई जाती है.
दीक्षा प्रक्रिया में साधक का पिंडदान और दंड संस्कार संपन्न होता है.
अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे आचार्य महामंडलेश्वर साधक को नागा दीक्षा प्रदान करते हैं.

नागा संन्यासियों की विशेष पहचान

महाकुंभ के विभिन्न स्थानों पर दीक्षा लेने वाले नागा संन्यासियों को विशिष्ट नाम दिए जाते हैं, जैसे:

  • प्रयागराज में दीक्षा: राज राजेश्वरी नागा.
  • उज्जैन में दीक्षा: खूनी नागा.
  • हरिद्वार में दीक्षा: बर्फानी नागा.
  • नासिक में दीक्षा: खिचड़िया नागा.

यह नाम उनके दीक्षा स्थल की पहचान सुनिश्चित करते हैं.

नागा संन्यासियों का महत्व

नागा संन्यासी, जो पूरी तरह दिगंबर रहते हैं, अपनी तपस्या और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं. महाकुंभ में उनका दर्शन और उनकी दीक्षा प्रक्रिया श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक महत्व रखती है. जूना अखाड़ा, नागा संन्यासियों की सबसे बड़ी संख्या वाला अखाड़ा है, और हर बार इसकी फौज में हजारों नए साधु शामिल होते हैं. महाकुंभ में इसकी छावनी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है.

महाकुंभ में नागा दीक्षा की यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की गहरी परंपराओं को भी दर्शाती है. महाकुंभ 2025 एक बार फिर इस परंपरा का साक्षी बनेगा, जहां आस्था, साधना और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा.

(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)