Morarji Desai Death Anniversary: मोरारजी देसाई भारत के एक प्रमुख राजनेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की और भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित हुए. साथ ही, उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, निशान-ए-पाकिस्तान से भी विभूषित किया गया, यह सम्मान पाने वाले वे भारत के एकमात्र नेता हैं.
1977 से 1979 तक भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने इतिहास में सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया. उनका राजनीतिक सफर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से आरंभ होकर राष्ट्रीय निर्माण के विभिन्न पड़ावों से गुजरा.
भारत में, उन्हें 1991 में देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया. यह सम्मान राष्ट्र के लिए किए गए असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है. देसाई को यह सम्मान स्वतंत्रता संग्राम में उनके सक्रिय योगदान, वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों को लागू करने में उनकी भूमिका और प्रधानमंत्री के रूप में भारत के आत्मनिर्भर आर्थिक विकास को गति देने के उनके प्रयासों के लिए प्रदान किया गया.
पाकिस्तान की ओर से, उन्हें 1990 में "निशान-ए-पाकिस्तान" से सम्मानित किया गया. यह पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो किसी विदेशी नागरिक को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान भी है. यह सम्मान देसाई को भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को कम करने के उनके निरंतर प्रयासों के लिए दिया गया था.
1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उपजे तनावपूर्ण माहौल में उन्होंने दोनों देशों के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देसाई ने माना कि भारत और पाकिस्तान, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जुड़े हुए देश होने के नाते, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रख सकते हैं. उन्होंने युद्धों को टालने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए कूटनीतिक कदम उठाए.
मोरारजी देसाई के कार्यकाल में न सिर्फ सराहनीय उपलब्धियां शामिल हैं बल्कि उसके साथ-साथ कुछ विवाद भी सामने आए. आइये एक नजर उन पर डालते हैं:
शांति दूत: मोरारजी देसाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के लिए किए गए कार्यों के लिए जाना जाता है. 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद, उन्होंने पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया. यह एक कठिन समय था, 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध अभी हाल में हुआ था. देसाई ने इस युद्ध को भविष्य में होने वाले टकरावों की शुरुआत नहीं बनने दिया. उन्होंने दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया.
आर्थिक सुधार: मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार ने आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने भ्रष्टाचार कम करने और सरकारी खर्च में कटौती करने की कोशिश की. ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सामुदायिक विकास कार्यक्रमों को मजबूत किया. साथ ही, उन्होंने आयकर प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने का प्रयास किया ताकि ईमानदारी से करदाताओं को राहत मिल सके.
मजबूत विदेश नीति: मोरारजी देसाई एक मजबूत विदेश नीति में विश्वास रखते थे. उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का समर्थन किया और पाकिस्तान की हार के बाद भारत के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत की सुरक्षा मजबूत रहे और देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत स्थिति बनाए रखे.
आपातकाल के विरोध: 1975 में लगे आपातकाल के दौरान मोरारजी देसाई ने एक प्रमुख नेता के रूप में जेल यातनाएं सहीं. आपातकाल हटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें अपनी ही पार्टी के भीतर गठबंधन के टूटने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनकी सरकार का कार्यकाल अस्थिर रहा.
आर्थिक नीतियों की आलोचना: देसाई सरकार की कुछ आर्थिक नीतियों, जैसे सोने पर सख्त सरकारी नियंत्रण, को उद्योग जगत द्वारा बाधा के रूप में देखा गया. उनका मानना था कि इससे कर चोरी रुकेगी, लेकिन उद्योगों के लिए सोना प्राप्त करना मुश्किल हो गया.
सामाजिक सुधारों की कमी: मोरारजी देसाई को गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुधारों पर कम ध्यान देने के लिए भी आलोचना मिली. उनका मुख्य फोकस आर्थिक विकास पर था, लेकिन सामाजिक असमानता को कम करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए.
मोरारजी देसाई भारत के एक विवादास्पद, लेकिन महत्वपूर्ण नेता थे. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए काम किया और मजबूत विदेश नीति अपनाई. हालांकि, उनकी कुछ आर्थिक नीतियों और सामाजिक सुधारों की कमी के लिए उनकी आलोचना भी की गई. कुल मिलाकर, उनका कार्यकाल उपलब्धियों और विवादों का मिला-जुला दस्तावेज है.