RSS BJP Coordination Meeting: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी का परफॉर्मेंस पिछले 2 चुनावों के मुकाबले कुछ खास नहीं रहा. भारतीय जनता पार्टी और संघ के बीच अनबन की बातें काफी आम हो गई. कुछ दिनों पहले आए संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद इन चर्चाओं का बाजार और गर्म हो गया. ऐसे में अब लोकसभा चुनाव के बाद केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठक आयोजित होने जा रही है. माना जा रहा है इसमें BJP और RSS के बीच के गैप को भरने की कोशिश की जाएगी. आइये जानें इसके मायने क्या है और मीटिंग का प्लान क्या है?
लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी ने 241 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, NDA के खाते में कुल 292 सीटें आईं जिसके बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने. चुनावों के दौरान और रिजल्ट के बाद भी ये चर्चा होती रही कि RSS और BJP के बीच सब ठीक नहीं है. ऐसे में अब होने जा रही बैठक काफी अहम है. आइये जानें क्या BJP चुनावी झटके के बाद RSS की शरण में जा रही है.
RSS की समन्वय बैठक 31 जुलाई से 2 अगस्त तक केरल के पलक्कड़ में होगी. इसमें संघ के सभी अनुषांगिक संगठन के नेता शामिल होंगे. इसमें अगले एक साल के लिए संघ अपने प्लान बनाएगा और अभी तक हुए कामों का आकलन करेगा. बैठक में भाजपा के कई बड़े नेता भी शामिल होंगे.
नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि काम करते सब लोग हैं, लेकिन काम करते समय मर्यादा का पालन करना चाहिए. मर्यादा ही अपना धर्म और संस्कृति है. उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है, वो कर्म करता है. लेकिन कर्मों में लिप्त नहीं होता. उसमें अहंकार नहीं आता. वो ही सेवक कहलाने का अधिकारी रहता है.'
इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष को प्रतिपक्ष कहने की अपील की थी. भागवत ने कहा था कि चुनाव में टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल और झूठ प्रसारित करना सही बात नहीं है. चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है. यहां मर्यादाओं का पालन नहीं हुई. साथ ही मणिपुर को लेकर कहा था एक साल से अशांति है वहां प्राथमिकता से शांति के लिए काम करना चाहिए.
संघ और भाजपा दोनों ही एक दूसरे के विकास के लिए काम करते रहे हैं. भाजपा को चुनावों में संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं का सहारा मिलता रहा है. लेकिन, 2024 के चुनावों में ऐसा कुछ खास दिखा नहीं. इसे ही रिजल्ट के पीछे का कारण बताया जा रहा है. ऐसे में भाजपा और मोदी-शाह विधानसभा चुनावों में संघ का साथ चाहते हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसके लिए भाजपा प्रयास कर रही है. इसे मूर्त रूप केरल की बैठक में दिया जा सकता है.
भाजपा को संघ का राजनीतिक संगठन बताया जाता रहा है. इसमें कोई दो राय भी नहीं हैं. हालांकि, संघ और भाजपा दोनों ने इसे खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया. लेकिन, सरकार के फैसलों और संघ के कार्यक्रमों में उनके एक होने की तस्वीर सामने आती रही हैं. संघ का जितना विकास 1925 से नहीं हुआ उससे कई ज्यादा मोदी युग में हुआ है. संघ पहले की सरकारों से सीधे सवाल करता रहा है लेकिन अभी तक मोदी सरकार से नाखुशी जाहिर नहीं की गई थी.
बता दें RSS अपने अनुषांगिक संगठनों के साथ साल में 2 बार समन्वय बैठक करता है. इसमें सभी संगठनों के बड़े पदाधिकारी शामिल होते हैं. भाजपा इन बैठकों में बतौर पार्टी भले शामिल नहीं होती लेकिन इसके नेता (जो संघ से जुड़े रहे हैं) हमेशा बैठकों में हिस्सा लेते रहे हैं. अमित शाह, नितिन गड़करी अक्सर बैठकों में हिस्सा लेते हैं. इस साल ये बैठक केरल में होनी है. पूरी संभावना है कि RSS-BJP के बीच के गैप को भरने के लिए ये नेता फिर बैठक में पहुंचे.
पहले चुनावों, मणिपुर और नेता के स्वभाव को लेकर मोहन भागवत का बयान आया. इसके बाद RSS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार के एक बयान ने खलबली मचा दी. उन्होंने कहा था कि अहंकार ने भाजपा को 241 पर रोक दिया. इस बीच मोहन भागवत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिले. इस पूरी क्रोनोलॉजी को संघ की भाजपा और अभी के शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है.