इन 5 चेहरों में से एक पर सीएम पद का दांव लगा सकते हैं मोदी-शाह, जानें क्यों हैं दिल्ली के लिए जरूरी?
दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद के लिए अब तक किसी नाम की घोषणा नहीं की है. चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) चौथी बार सरकार बनाने की दौड़ से बाहर हो गई है.
Next Chief Minister of Delhi 2025: दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद के लिए अब तक किसी नाम की घोषणा नहीं की है. चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) चौथी बार सरकार बनाने की दौड़ से बाहर हो गई है, जबकि कांग्रेस लगातार तीसरी बार शून्य की ओर बढ़ रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने प्रचार अभियान पर पूरा जोर दिया, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री पद के किसी दावेदार का नाम सामने नहीं आया है. दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने इस बारे में कहा, "यह निर्णय पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा किया जाएगा. हमने दिल्ली के विकास और मुद्दों पर चुनाव लड़ा है, जबकि अरविंद केजरीवाल ने मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश की."
हालांकि, आप ने दावा किया था कि भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा रमेश बिधूड़ी हैं, लेकिन भाजपा ने इस दावे को खारिज कर दिया. शीर्ष पद के संभावित दावेदारों में कुछ प्रमुख नाम चर्चा में हैं. बता दे, रमेश बिधूड़ी कालका जी से चुनाव भी हार गए है.
ये है 5 प्रमुख नाम
1. प्रवेश साहिब सिंह वर्मा
नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को हराकर परवेश वर्मा ने बड़ी पहचान बनाई है. पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे होने के नाते, उन्हें भाजपा में एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है. बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था. प्रवेश वर्मा अगर चुनाव में केजरीवाल को मात देने में सफल रहते हैं और बीजेपी की सत्ता में वापसी होती है तो सीएम की रेस में उनका नाम भी होगा. नई दिल्ली विधानसभा सीट को दिल्ली की सत्ता का धुरी कहा जाता है, यहां से जीतकर शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
प्रवेश वर्मा जाट समाज से आते हैं और बाहरी दिल्ली में जाट वोट बड़ी संख्या में है. जाट समीकरण के चलते ही उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जाट समीकरण के लिहाज से प्रवेश वर्मा फिट बैठते हैं, लेकिन परिवारवाद उनकी राह में रोड़ा बन सकता है. बीजेपी ने किसी भी मुख्यमंत्री के बेटे को अभी तक सीएम नहीं बनाया है. इसके अलावा प्रवेश वर्मा की राह में उनके विवादित बयान भी बाधा बन सकते हैं.
2. विजेंद्र गुप्ता
रोहिणी सीट से लगातार जीत दर्ज करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता का अनुभव और संगठन में पकड़ उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है. दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है. विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं. केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं.
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं. ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे. इसकी वजह यह है कि दिल्ली के सियासी समीकरण में फिट बैठते हैं, केजरीवाल की तरह वैश्य समाज से आते हैं. दिल्ली में वैश्य वोटर बड़ी संख्या में है, लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा यह है कि उनका पूरे दिल्ली में जनाधार नहीं है.
3. दुष्यंत गौतम
दलित नेता और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम करोल बाग सीट से उम्मीदवार हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए एक महत्वपूर्ण नाम हो सकते हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. बीजेपी के दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं. अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनती है तो सीएम के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं. अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.
दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था. दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं. राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं. दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है. दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है, लेकिन उनके विवादित बयान राह में रोड़ा भी बन सकते हैं. 2022 में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘निकम्मा’ कहा तो विपक्षी इंडिया गठबंधन की तुलना ‘स्ट्रीट डॉग’ से की थी. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कांग्रेसी मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं.
4 . मनजिंदर सिंह
राजौरी गार्डन से जीतने वाले सिरसा भाजपा के प्रमुख सिख चेहरे हैं. पार्टी दिल्ली जीतने के बाद पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, जिससे सिरसा का नाम प्रमुखता से उभर रहा है.
5 . मोहन सिंह बिष्ट
मुस्तफाबाद से भाजपा के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे मोहन सिंह बिष्ट हैं. पार्टी में उनकी मजबूत पकड़ और संगठनात्मक अनुभव उन्हें चुनाव में उतार सकता है.