कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार से आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव लाने की मांग की है. पार्टी ने कहा कि देश में बढ़ती आर्थिक असमानता और कम खपत की समस्या से निपटने के लिए नीति-निर्माण का फोकस "क्रोनीइज्म" (खास लोगों को फायदा पहुंचाने) से हटाकर "बॉटम-अप एम्पावरमेंट" (निचले स्तर से सशक्तिकरण) की ओर बढ़ना चाहिए. कांग्रेस ने ग्रामीण आय को बढ़ाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लागू करने जैसे कदमों को इस दिशा में पहला कदम बताया है.
इंडस वैली एनुअल रिपोर्ट 2025 का दिया हवाला
आर्थिक असमानता की गहरी खाई
जयराम रमेश ने कहा कि भारत की "खपत करने वाली श्रेणी" (कंज्यूमिंग क्लास) सिर्फ 3 करोड़ परिवारों तक सीमित है, जो देश की आबादी का करीब 10% है. ये लोग ही बड़े पैमाने पर सामान और सेवाएं खरीद पाते हैं. इसके अलावा, 7 करोड़ परिवार एस्पिरेंट क्लास में आते हैं, जिनकी खरीदने की क्षमता सीमित है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि 20.5 करोड़ परिवार, यानी करीब 1 अरब लोग, ऐसे हैं जिनके पास रोजमर्रा की जरूरतों से इतर कोई खर्च करने योग्य आय नहीं है.
विकास की कहानी सिर्फ सबसे अमीर वर्ग तक सीमित
उन्होंने कहा कि खपत करने वाली श्रेणी बढ़ नहीं रही है. एयर पैसेंजर ट्रैफिक और दोपहिया वाहनों की बिक्री जैसे प्रमुख संकेतक स्थिरता दिखाते हैं. हाल के वर्षों के लगभग हर डेटा स्रोत ने पुष्टि की है कि भारत में असमानता बढ़ रही है और "विकास की कहानी सिर्फ सबसे अमीर वर्ग तक सीमित हो गई है."
लाभार्थी नहीं, सशक्त नागरिक बनाएं
रमेश ने केंद्र सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, 'अधिकांश भारतीय केवल बुनियादी जरूरतों को ही वहन कर पाते हैं. सरकार की नजर में वे सिर्फ 'लाभार्थी' हैं, जो योजनाओं पर निर्भर हैं. उन्हें अधिकार-संपन्न आर्थिक नागरिक के रूप में नहीं देखा जाता. इस दलदल से निकलने का रास्ता नीति-निर्माण को क्रोनीइज्म से हटाकर निचले स्तर से सशक्तिकरण की ओर ले जाना है. इसके लिए सबसे पहले ग्रामीण आय को बढ़ाना होगा, जिसमें मनरेगा मजदूरी को मुद्रास्फीति से अधिक बढ़ाना शामिल है."
MSP को कानूनी दर्जा देना होगा
पार्टी के प्रवक्ता अभय दुबे ने एक अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी बनाने की कांग्रेस की पुरानी मांग को दोहराया. उन्होंने 17 दिसंबर 2024 को संसदीय स्थायी समिति ऑन एग्रीकल्चर (2024-25) की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि जब तक MSP को कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक किसानों को इसका पूरा लाभ नहीं मिलेगा.
दुबे ने कहा, "देश में सोयाबीन उत्पादन के दो बड़े राज्य हैं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश, जहां 90% सोयाबीन पैदा होता है. महाराष्ट्र चुनाव के दौरान वहां के किसानों ने बताया कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4,892 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन उन्हें इससे भी कम कीमत मिल रही है. सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए."
सरकार के सामने चुनौती
कांग्रेस का यह बयान भारत की आर्थिक नीतियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करता है. पार्टी का तर्क है कि जब तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत नहीं किया जाता और आम लोगों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ाई जाती, तब तक देश की विकास गाथा अधूरी रहेगी. उनका कहना है कि मौजूदा नीतियां सिर्फ अमीर वर्ग को फायदा पहुंचा रही हैं, जबकि बहुसंख्यक आबादी पीछे छूट रही है.