बीजेपी हमेशा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर हमलावर रही है. 2014 लोकसभा के कैंपन से लेकर अब तक बीजेपी उन्हें 'मौन पीएम' बताते आई. सार्वजनिक मंचों से उनपर हमले किए गए, रबर स्टॉप से लेकर कठपुतली तक कहा गया. देश की संसद में पीएम मोदी ने महमोहन सिंह पर हमले बोले, लेकिन देश की शीर्ष अदालत में बीजेपी के बोल बदल गए. जो बीजेपी पूर्व पीएम की आलोचना करते नहीं थकती उसी ने अब उनकी तारीफ की है.
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में देश पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की खूब तारीफ की है. सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह की नीतियों की तारीफ की. लाइसेंस राज और देश में लाए गए आर्थिक उदारीकरण के लिए सराहना की. बीजेपी ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की भी तारीफ की है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ जजों की पीठ को बताया कि नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के बाद कंपनी कानून और एमआरटीपी अधिनियम सहित कई कानूनों को उदार बनाया गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पीठ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे. इस पीठ ने आईडीआरए, 1951 की तीखी आलोचना करते हुए इसे पुरातनपंथी बताया था.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन, विनिर्माण, आपूर्ति और विनियमन के संबंध में केंद्र और राज्यों के बीच चल रही लड़ाई की पड़ताल कर रही है. पहले इस मामले में राज्य के खिलाफ फैसला सुनाया गया था, इसके बाद पीठ के समक्ष कई याचिकाएं आईं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि इस अधिनियम से देश को फायदा मिला है. उद्योगों के विकास और विनियमन को नियंत्रण में लाना जरुरी है. उन्होंने कोरोना काल का उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए केंद्र सरकार को कोविड के दौरान औद्योगिक अल्कोहल की पूरी मात्रा का उपयोग सैनिटाइजर के निर्माण के लिए करना है तो सरकार अपनी नियामक शक्ति का उपयोग कर सकती है.