Mission Gaganyaan: इसरो के गगनयान मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट के नाम सामने आ गए हैं. पीएम मोदी ने जिन नामों का ऐलान किया उनमें फायटर पायलट प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला शामिल हैं. पीएम ने चारों एस्ट्रोनॉट से मिलकर उन्हें शुभकामनाएं दीं. पीएम मोदी ने दौरान कहा कि ये 21वीं सदी का भारत है विकसित होता हुआ भारत है आज दुनिया को अपने सामर्थ्य से चौंका रहा है. पिछले 10 वर्षों में हमने लगभग 400 सेटेलाइट लॉन्च किए हैं, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों में मात्र 33 सेटेलाइट लॉन्च किए गए थे.
पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर पहुंचे. उनके साथ ISRO चीफ एस सोमनाथ भी मौजूद थे.
प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा- कुछ देर पहले देश पहली बार 4 गगनयान यात्रियों से परिचित हुआ. ये सिर्फ 4 नाम या 4 इंसान नहीं हैं, ये वो चार शक्तियां हैं जो 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष तक ले जाने वाली हैं. 40 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है, लेकिन इस बार वक्त भी हमारा है, काउंट-डाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है.
पीएम मोदी ने कहा- मैं चाहता हूं कि हर कोई हमारे अंतरिक्ष यात्रियों का खड़े होकर अभिनंदन करे. हर राष्ट्र की विकास यात्रा में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जो वर्तमान के साथ ही आने वाली पीढ़ियों को भी परिभाषित करते हैं. आज भारत के लिए यह ऐसा ही क्षण है, हमारी आज की पीढ़ी बहुत सौभाग्यशाली है.
मोदी ने कहा- पिछले साल भारत वह पहला देश बना जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर तिरंगा फहराया. आज शिव-शक्ति पॉइंट पूरी दुनिया को भारत के सामर्थ्य से परिचित करा रहा है. 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन होगा. इसकी मदद से भारत अंतरिक्ष का अध्य्यन कर सकेगा.
पीएम मोदी ने कहा- मुझे ये जानकर बेहद खुशी हुई कि गगनयान में इस्तेमाल हुए अधिकतम इक्विपमेंट्स भारत में बने हैं. ये गजब इत्तफाक है कि जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए टेकऑफ कर रहा है, तभी भारत का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को नई ऊंचाई तक ले जाने वाला है.
पीएम मोदी ने कहा- मुझे ये जानकर बहुत अच्छा लगा कि गगनयान में इस्तेमान होने वाले ज्यादातर उपकरण 'Made in India' है.
बता दें कि चुने गए चारों एस्ट्रोनॉट्स इंडियन बेंगलुरु स्थित एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग एस्टिब्लेशमेंट के टेस्ट पायलट्स हैं. एस्ट्रोनॉट बनने के लिए बड़ी संख्या में एप्लीकेशन आई थीं. इनमें से 12 ने पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस कम्पलीट किया था. इसके बाद कई राउंड के सिलेक्शन के बाद 4 को सिलेक्ट किया गया. चारों को रूस में ट्रेनिंग दी गई है.