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MHA on CAA: किसी को नहीं मिलेगा देश निकाला! CAA पर होम मिनिस्ट्री ने दूर की गलतफहमियां, जानें हर सवाल का जवाब

MHA on CAA: गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर कई कई सवालों के स्पष्ट जवाब दिए हैं. साथ ही समझाया गया है कि सीएए किस तरह से काम करेगा. इसके क्या-क्या प्रावधान हैं?

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Edited By: India Daily Live
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MHA on CAA: केंद्र सरकार की ओर से सोमवार यानी 11 मार्च को नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके बाद गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इसके नियमों के संबंध में कहा कि सीएए को लेकर कई गलतफहमियां फैलाई गई हैं. यह किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. CAA-2019 के तहत योग्य व्यक्ति नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

सीएए से जुड़े मिथकों को तोड़ते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सीएए में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है. इसका वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है, जिनके पास अपने हिंदू समकक्षों की तरह समान अधिकार हैं.

एमएचए ने कहा- सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान दी जाएगी

इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. इसके अलावा एमएचए ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पुनर्वास और नागरिकता के लिए कानूनी बाधाओं को खत्म करता है. इस कानून से व्यक्तियों की सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. 

सीएए के तहत नागरिकता किस तारीख से दी जाएगी, इस सवाल पर एमएचए पोर्टल पर कहा गया है कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 बी के तहत रजिस्ट्रार की ओर से नागरिकता देने की तारीख से व्यक्तियों को भारत का नागरिक माना जाएगा. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि सीएए के तहत नागरिकता कानून में निर्धारित पूर्वव्यापी प्रभाव से दी जाएगी. अधिकारी ने कहा कि आवेदक के भारत में प्रवेश की तारीख सीएए के तहत भारतीय नागरिकता देने की तारीख होगी. यह 10 साल पहले, 15 साल पहले या 25 साल पहले हो सकती है.

सीएए को ऐसे जानिए

  • नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए सक्षम बनाता है, जिन्होंने धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण मांगी थी.
  • इसमें 6 अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं.
  • ये कानून पुनर्वास और नागरिकता के लिए कानूनी बाधाएं दूर करता है.
  • यह उन शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन देगा जो दशकों से पीड़ित हैं.
  • नागरिकता अधिकार उनकी सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान की रक्षा करेगा.
  • यह आर्थिक, वाणिज्यिक, मुक्त आवाजाही और संपत्ति खरीद अधिकार भी सुनिश्चित करेगा.

क्या बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत को कोई समझौता है?

क्या बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अवैध मुस्लिम प्रवासियों को वापस भेजने का कोई प्रावधान या समझौता है? इन देशों में प्रवासियों को वापस भेजने के लिए भारत का इनमें से किसी भी देश के साथ कोई समझौता नहीं है. यह नागरिकता अधिनियम अवैध आप्रवासियों के निर्वासन से संबंधित नहीं है. इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों के एक वर्ग की चिंता है कि सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है या फिर अनुचित है.

क्या विदेश से आने वाले मुस्लिम प्रवासियों के लिए कोई प्रतिबंध है?

सीएए प्राकृतिक कानूनों को रद्द नहीं करता है, इसलिए किसी भी विदेश से आए मुस्लिम प्रवासियों समेत कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है. यह अधिनियम किसी भी मुस्लिम को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है. इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो इस्लाम का मानते है.