मेघा इंजीनियरिंग एक बार फिर चर्चाओं में है. कंपनी इस बार सड़क पर पड़ी दरार और गड्ढों को भरने नाकाम साबित हुई है. समृद्धि हाईवे का ठेका पाने वाली इस कंपनी को महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) ने पिछले साल 12 बार नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया कि हाइवे पर पड़ी दरारों और गड्ढों की मरम्मत की जाए. लेकिन मेघा इंजीनियरिंग ने सभी 12 नोटिस को इग्नोर कर दिया. अब महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) ने कंपनी को भुगतान होने वाले 10 करोड़ रुपये के बिल को रोक दिया है. साथ ही, समय पर काम पूरा न होने पर इसी पैसे में ये काम दूसरी कंपनी को देने की चेतावनी भी दी है.
हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग को समृद्धि राजमार्ग पर जालना जिले के बेंडेवाडी से छत्रपति संभाजीनगर जिले के फतियाबाद तक कुल 54 किमी सड़क बनाने का ठेका दिया गया था. इस काम की कुल लागत 2 हजार करोड़ रुपये थी. सड़क का काम जून 2022 में पूरा हुआ था. इस सड़क की मरम्मत की अवधि जून 2026 तक है और ठेकेदार कंपनी को इसे अपने खर्च पर करना अनिवार्य है. लेकिन, मेघा इंजीनियरिंग कंपनी सड़क पर गड्ढे, दरारें को भरने में लगातार लापरवाही बरत रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य कंपनी, समृद्धि हाइवे का रोजाना निरीक्षण करती है और इसकी मासिक मरम्मत रिपोर्ट तैयार करती है. इस कंपनी के इंजीनियरों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर MSRDC ने मेघा इंजीनियरिंग कंपनी को हर महीने सड़क की मरम्मत के लिए नोटिस जारी किया. हालांकि, मेघा इंजीनियरिंग ने MSRDC के नोटिस पर भी ध्यान नहीं दिया. वहीं, MSRDC ने भी सिर्फ नोटिस भेजने का ही काम पूरा किया. कंपनी पर एक बार भी जुर्माना नहीं लगाया गया.
समृद्ध हाइवे के निर्माण के बाद 4 वर्षों के रखरखाव और मरम्मत के लिए MSRDC की ओर से मेघा इंजीनियरिंग के 50 करोड़ रुपये रिजर्व किए गए हैं. दरअसल, एक मराठी न्यूज वेबसाइट ने मालीवाड़ा इंटरचेंज के पास समृद्धि हाइवे पर दरार और गड्ढों के संबंध में खबर पब्लिश की थी. इसके बाद पूरे मामले की जानकारी MSRDC को हुई. अब मेघा इंजीनियरिंग कंपनी को नोटिस देकर उनका 10 करोड़ रुपये का बिल रोक दिया गया है.
ये पहली बार नहीं है, जब मेघा इंजीनियरिंग काम में फिसड्डी साबित हुई है. इससे पहले हाल ही में एक खबर आई थी, जिसमें कहा गया था कि डेडलाइन के गुजर जाने के बाद भी मेघा इंजीनियरिंग ने बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (BEST) को 10 फीसदी से कम इलेक्ट्रिक बसों की डिलीवरी की है.
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन उपक्रम (BEST) की ओर से दिए गए आंकड़ों के जरिए ये जानकारी सामने आई थी. इंडियन एक्सप्रेस की ओर से RTI के जरिए जानकारी मांगी गई थी.
सामने आया कि BMC ने इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए BEST को 493 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. इसमें से BEST ने एवेट्रांस प्राइवेट लिमिटेड को 205.8 करोड़ रुपये दे दिये.
BEST को अब तक केवल 185 इलेक्ट्रिक बसें मिलीं हैं, जबकि कुल 2,100 बसों की डिलीवरी की जानी थी. इसके लिए मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) की सहायक कंपनी ईवेट्रांस प्राइवेट लिमिटेड को अगस्त 2023 का डेडलाइन दिया गया था.