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India Daily

इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए मायावती ने रखी यह शर्त! जानें किन लोकसभा सीटों पर लगाया वीटो पावर?

मायावती को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए सपा और कांग्रेस लगातार कोशिशों में जुटी हुई है. इसी बीच सूत्रों के हवाले से यह खबर निकलकर सामने आ रही है कि बसपा ने इंडिया गठबंधन में आने के लिए बड़ी शर्त रख दी है. 

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Akhilesh Yadav

हाइलाइट्स

  • इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए मायावती ने रखी शर्त
  • करीब 30 लोकसभा सीटों पर मायावती ने ठोकी दावेदारी

नई दिल्ली: मायावती को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए सपा और कांग्रेस लगातार कोशिशों में जुटी हुई है. अभी तक बीएसपी के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं लेकिन कांग्रेस के कई दिग्गज नेता मायावती के साथ संपर्क बनाये हुए है. इसी बीच सूत्रों के हवाले से यह खबर निकलकर सामने आ रही है कि बसपा ने इंडिया गठबंधन में आने के लिए बड़ी शर्त रख दी है. 

मायावती ने इन लोकसभा सीटों पर लगाया वीटो पावर

सूत्रों की मानें तो मायावती ने 2019 में जीती हुई लोकसभा सीट के साथ करीब 30 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकी है. 30 सीटों में दस सीटें वो होंगी जिन पर बीएसपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. उनमें लालगंज, श्रावस्ती, जौनपुर, नगीना, अमरोहा, सहारनपुर, बिजनौर, गाजीपुर, घोसी और अमरोहा संसदीय सीट है. जहां 2019 में बीएसपी ने जीत हासिल की थी. अब बीएसपी के ओर से डिमांड की गई सीटों में से कई ऐसी सीट है जिसपर सपा ने उम्मीदवार पहले से ही लगभग तय कर लिए हैं. इनमें सहारनपुर, नगीना, गाजीपुर, घोसी, संभल और मछलीशहर ऐसी सीट है जिसपर सपा ने अपने उम्मीदवार को चुनाव प्रचार में जुटने को कहा है. ऐसे में देखना यह दिलचल्प होगा कि क्या बसपा सपा और कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन के बैनर तले आती है या नहीं. 

मायावती क्या उठाएगी बड़ा सियासी कदम?

माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में जाने से संभावित नफा नुकसान के आकलन के बाद मायावती कोई बड़ा सियासी कदम उठा सकती है. जिसका ऐलान वो वो 15 जनवरी को अपने जन्मदिन के मौके पर कर सकती है. मायावती का इंडिया गठबंधन में आना सियासी तौर पर मायावती और गठबंधन दोनों के लिए समय की जरूरत है. बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक वर्ग पार्टी के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इंडिया गठबंधन के बैनर तले आना जरूरी मान रहा है. ऐसे में अब गेंद मायावती के पाले में है कि वह अकेले चुनावी मैदान में लड़ती है या इंडिया गठबंधन के साथ चुनावी ताल मिलाती है.