मायावती-अखिलेश एक मंच पर क्यों नहीं आ रहे हैं? जानिए दोनों के बीच क्यों है विवाद
Mayawati-Akhilesh Yadav Controversy: यूपी में बुआ और भतीजे की लड़ाई पर लंबे समय के बाद भी विराम लगने का नाम नहीं ले रहा है. आइए जानते हैं, आखिर इस विवाद के पीछे की वजह क्या है. पूर्व में ऐसा क्या हुआ था कि मायावती और अखिलेश यादव के बीच आज भी बात नहीं बन पा रही है.

Mayawati-Akhilesh Yadav Controversy: यूपी में बुआ और भतीजे की लड़ाई पर लंबे समय के बाद भी विराम लगने का नाम नहीं ले रहा है. आए दिन मायावती और अखिलेश यादव एक दूसरे पर सियासी रूप से हमलावर रहते हैं. इन दिनों भी यूपी में बसपा और सपा के बीच जारी खींचतान से यह तो साफ हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों की राह एक नहीं होगी. आइए जानते हैं, आखिर इस विवाद के पीछे की वजह क्या है. पूर्व में ऐसा क्या हुआ था कि मायावती और अखिलेश यादव के बीच आज भी बात नहीं बन पा रही है.
7 जनवरी को मायावती का अखिलेश पर पलटवार
रविवार को मायावती ने अखिलेश यादव के एक बयान पर पलटवार किया था. दरअसल, अखिलेश यादव ने मायावती के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के सवाल पर कहा था कि 'मायावती पर भरोसे का संकट' हैं. अखिलेश यादव के इस बयान पर मायावती ने एक्स पर लिखा कि बसपा पर अनर्गल तंज कसने से पहले सपा चीफ को अपने गिरेबान में झांककर जरूर देखना चाहिए कि भाजपा को आगे बढ़ाने और मेलजोल में उनका दामन कितना दागदार है.
मायावती ने सपा पर लगाए ये आरोप
मायावती की ओर से पूर्व में सपा को 'जबरदस्त दलित विरोधी' बताया गया है. उन्होंने सपा पर यह भी आरोप लगाया है कि अपने शासन काल में सपा ने बसपा दफ्तर के सामने पुल बनाकर उसे असुरक्षित किया था. इसके अलावा मायावती ने 'गेस्ट हाउस कांड' का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिससे भी गठबंधन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है.
क्यों बसपा का साथ चाहते हैं सभी दल
बसपा पर सपा की ओर से आए दिन यह आरोप लगता रहा है कि बसपा भाजपा की बी टीम है. दरअसल, बीते कुछ समय से मायावती ने योगी सरकार पर खुलकर हमला नहीं बोला है. इसके अलावा मायावती सपा को दलित विरोधी बताती है.
BSP क्यों है सबके लिए अहम?
बसपा की पहचान दलितों, वंचितों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की पार्टी के रूप में होती है. ताजा जानकारी के अनुसार यूपी में फिलहाल 21% दलित वोट बैंक है. यूपी 80 सीटों में से 17 सीटें दलितों के लिए आरक्षित रखी गई हैं. इसके साथ साथ प्रदेश की 42 सीट पर दलितों की पकड़ अच्छी मानी जाती है. यही वजह है कि सभी दल की यह कोशिश होती है कि बसपा उसके साथ रहे राजनीति को करीब से जानने वालों की मानें तो बसपा को मुस्लिमों का भी साथ मिला हुआ है.