Shaheed Divas 2025: हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारत के तीन महान क्रांतिकारियों, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद करने का दिन है. इन तीनों ने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी. शहीद दिवस हमें देशभक्ति और बलिदान की भावना से भर देता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने देश के लिए हमेशा समर्पित रहना चाहिए.
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान ने पूरे देश में आजादी की लड़ाई को और तेज कर दिया था. तब से, हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है और इस दिन हम उनके बलिदान को याद करते हैं. 23 मार्च का दिन हमें बताता है कि हमें आजादी कितने बलिदानों से मिली है.
1928 में, साइमन कमीशन भारत आया था, लेकिन इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था. इससे पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ. इस प्रदर्शन का नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे. हालांकि, ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेम्स ए स्कॉट के आदेश पर प्रदर्शन में लाठीचार्ज कर दिया गया, जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए.
चोट लगने के 2 हफ्ते बाद 17 नवंबर 1928 को दिल का दौरा पड़ने के कारण लाला लाजपत राय का निधन हो गया. डॉक्टरों का मानना था कि लाला लाजपत राय की मौत पुलिस की लाठियों से हुई थी, जो उन्हें 30 अक्टूबर को लगी थीं. उनकी मौत के बाद, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने जेम्स ए स्कॉट से बदला लेने का फैसला किया.
लाला लाजपत राय की मौत के एक महीने बाद, 17 दिसंबर की शाम को, भगत सिंह और उनके साथी जेम्स स्कॉट के पुलिस ऑफिस से निकलने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन गलती से, उनके साथी ने सॉन्डर्स को स्कॉट समझकर इशारा कर दिया. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सॉन्डर्स की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 23 मार्च 1931 को उन्हें लाहौर जेल में फांसी दे दी गई.
- उन बलिदानियों को नमन, जिनकी हिम्मत से यह देश बना; उनके जाने से नाम रोशन हुआ, उनकी वजह से देश आजाद है.
- जो शहीद हुए, उनकी इच्छाएं जीवित हैं; जब तक भारत रहेगा, उनका नाम अमर रहेगा.
- उन्होंने फांसी का फंदा इसलिए चूमा ताकि हम गर्व से जी सकें; उनके बलिदान को बेकार न जाने दें.
- हे मेरे देश के लोगों, अपनी आंखों में आंसू लाओ, जिन्होंने शहादत दी, उनकी कुर्बानी याद करो.