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India Daily

आंध्र प्रदेश के मंदिर में लगी रहस्यमयी आग में कई दुर्लभ कछुओं की मौत, भक्तों में फूटा गुस्सा, की न्याय की मांग

यह मंदिर भगवान विष्णु के दुर्लभ ‘कूर्मा’ (कछुआ) अवतार की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. इन कछुओं को मंदिर में दैवीय शक्ति की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है. भक्तों और स्थानीय लोगों की मांग है कि मंदिर में बचे कछुओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाए.  

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Many rare turtles died in a mysterious fire in a temple in Andhra Pradesh

आंध्र प्रदेश के श्रीकुरमम गांव में स्थित श्री कूर्मनाथ स्वामी मंदिर में लगी एक रहस्यमयी आग ने कई दुर्लभ स्टार कछुओं की जान ले ली. यह मंदिर भगवान विष्णु के दुर्लभ ‘कूर्मा’ (कछुआ) अवतार की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. इन कछुओं को मंदिर में दैवीय शक्ति की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों के लिए सृष्टि के संतुलन और संरक्षण में विष्णु की लौकिक भूमिका का जीवंत प्रतीक हैं.  

भक्तों का गुस्सा और लापरवाही का आरोप

आग की इस घटना को भक्तों ने पवित्रता का अपमान माना है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मंदिर कर्मचारियों ने कछुओं के प्रति लापरवाही और असम्मान दिखाया. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह घटना मंदिर प्रबंधन की विफलता को दर्शाती है, जो वर्षों से मंदिर की आध्यात्मिक पहचान का हिस्सा रहे इन पवित्र कछुओं की देखभाल में नाकाम रहा. “मंदिर प्रशासन ने इन कछुओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया,” एक स्थानीय भक्त ने गुस्से में कहा.  

वन्यजीव संरक्षण नियमों का उल्लंघन
रिपोर्ट्स के अनुसार, मृत कछुओं को कार्यकारी अधिकारी (EO) के कार्यालय के पीछे बिना उचित प्रक्रिया के अंतिम संस्कार कर दिया गया. वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत, दुर्लभ प्रजातियों की मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमॉर्टम अनिवार्य है. इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करने से भक्तों और स्थानीय लोगों में संदेह गहरा गया है. कईयों को आशंका है कि कुछ छिपाया जा रहा है.  

भक्तों ने की न्याय की मांग
घटना के बाद सोशल मीडिया और स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया. भक्तों ने इस मामले की आधिकारिक जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मंदिर में बचे कछुओं की बेहतर सुरक्षा की मांग की है. भारतीय स्टार कछुआ, जो भारत के उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में पाया जाता है, अवैध तस्करी का शिकार हो रहा है. इसकी आकर्षक shell design इसे exotic pet market में लोकप्रिय बनाती है, जिससे इनकी प्रजाति खतरे में है.  

कानूनी स्थिति और चुनौतियां
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने स्टार कछुए को “दुर्लभ” श्रेणी में रखा है. भारत में यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 4 के तहत आता है, जो न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करता है. इसके बावजूद, उच्च मांग और कमजोर कानून लागू होने के कारण अवैध व्यापार जारी है.